Book Title: Tulsi Prajna 2001 01
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 33
________________ जो बैक्टेरिया भूमि तथा जल में रहते हैं वे कई पदार्थों को री-सायकल करने में मदद करते है। कुछ बैक्टेरिया मृत शरीरों, मल तथा अन्य कचरे को डीकम्पोज कर देते हैं तथा अन्य रसायनों में बदल देते हैं। कुछ बैक्टेरिया ऐसे रसायनों का निर्माण करते हैं कि जो पौधों एवं वनस्पति के लिए आवश्यक होते हैं। कुछ बैक्टेरिया परमेंटेशन के काम आते हैं तो कुछ नालों की सफाई करने में। कुछ बैक्टेरिया दवाओं के बनाने में भी काम आते हैं। (5.4) दही कैसे बनता है? __ नया दही बनाने के लिए पुराने दही के थोड़े से जामन को हल्के गर्म दूध में डाल दिया जाता है। तीन-चार घण्टे में नया दही तैयार हो जाता है। आज हम सभी जानते हैं कि दही में अनेक प्रकार के सूक्ष्म जीव होते हैं जिनमें लैक्टोबेसीलस तथा स्टैफीलोकोकस नामक बैक्टेरिया प्रमुख है। कुछ प्रकार के यीस्ट भी इसमें पाये जाते हैं। एक मिली लीटर दही में लगभग 20 करोड़ बैक्टेरिया पाये जाते हैं। लैक्टोबेसीलस नामक बैक्टेरिया दूध से दही बनाने में अहम् भूमिका निभाता है। जब इन सूक्ष्म जीवों (लैक्टोबेसीलस) को गुनगुने (लगभग 37° सै.) ताप के दूध में मिलाया जाता है तो ये बैक्टेरिया बहुत तेजी से बढ़ने लगते हैं। अपनी इस वंश वृद्धि के दौरान ये दूध के बसा रहित तत्व को ग्रहण कर लेते हैं तथा दूसरा गाढ़ा पदार्थ पैदा करते है जिसे हम दही कहते है। जब एक बार दही बन जाता है तो इसे ठण्डे स्थान पर रख दिया जाता है जिससे इन बैक्टेरिया की और अधिक वृद्धि न हो, इनकी अधिक वृद्धि होने से दही और अधिक खट्टा हो जाता है तथा खाने योग्य नहीं रहता है। यदि अधिक गर्म दूध में जामन डाल दिया जाय तो दही नहीं जमता है, क्योंकि अधिक ताप पर बैक्टेरिया मर जाते हैं। यहां यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि दही बैक्टेरिया की मौजूदगी में ही बनता है। यदि ताजा दही है तब भी उसमें बैक्टेरिया रहते हैं। कई बार देखा गया है कि बिना जामन के या फिर अन्य प्रक्रिया से भी दही जमाया जाता है। ऐसी स्थिति में दूध हवा में उपस्थित बैक्टेरिया को ग्रहण कर लेता है तथा फिर दही उनकी मदद से जमता है। इस तरह जमे दही में भी बैक्टेरिया तो होते ही हैं। (5.5) खाद्य पदार्थों का रक्षण हम सभी जानते हैं कि यदि खाद्य पदार्थ बहत पुराने हो जाय तो वे खराब होने लगते हैं तथा उनमें से कुछ अलग प्रकार की गंध आने लगती है। वस्तुतः कुछ सूक्ष्म-जीव होते हैं जो खाने को खराब कर देते हैं तथा खाने के अणुओं को गंध युक्त एमाइन्स में बदल देते हैं। इससे खाना न सिर्फ देखने में खराब लगता है, बल्कि खाने में भी खराब लगता है तथा बीमारी भी पैदा कर सकता है। खाद्य पदार्थों को यदि इन सूक्ष्म-जीवों से बचा कर रखा जाय तो ये पदार्थ जल्दी खराब नहीं होते हैं। इनका रक्षण कई प्रकार से किया जाता है। खाद्य पदार्थों को पकाकर 28 AIIM NI V तुलसी प्रज्ञा अंक 111-112 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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