Book Title: Tulsi Prajna 1992 01
Author(s): Parmeshwar Solanki
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 22
________________ १६२ CAPILLA Jain Education International NORTH ARCTURUS * सप्तर्षि मण्डल परिचालन ऊपर ब्लॉक में 'नोर्थ स्टार' को केन्द्र मान कर बना आकाश दिखाया गया है । 'नोर्थ स्टार' लघु सप्तर्षि मण्डल का सातवां तारा है जो अपनी धुरी पर घूमता है और शेष तारे उसके चारों ओर । बृहत् सप्तर्षि मण्डल का सातवां तारा भी अपनी धुरी पर घूमता है किन्तु वह बाकी तारों के साथ चौतरफ घूमते हुए ‘नोर्थ स्टार' के चारों ओर भी घूमता है । 1 ब्लॉक में दोनों सप्तर्षि मण्डलों के नीचे दाहिने कन्या राशि से ऊपर स्वाति नक्षत्र (Arcturus) है। यह सूर्य से ८० गुणा चमकीला है और हमारी पहचान के अनुसार प्राचीन ध्रुव है । खगोलविदों के अनुसार यह हजार वर्ष तक एक ही स्थान पर परिभ्रमण करता है, फिर अपना स्थान बदलता है । इससे ऊपर बृहत् सप्तर्षि मण्डल के द्वितारे की सीध में देखें तो आर्द्रा (Betelgeuse) बाईं ओर दीखता है और लघु सप्तर्षि मण्डल द्विता की सीध में देखें तो दाहिने दीख पड़ता है । सारे नक्षत्र दाहिने से बाएं घूमते हैं, इसलिए आर्द्रा के बृहत् सप्तर्षितारों से दाहिनी ओर आ जाने पर सप्तर्षियों का वर्तमान आर्द्रा नक्षत्र - भ्रमण पूरा हो जाएगा - ऐसा माना जा सकता है । - लेखक For Private & Personal Use Only तुलसी प्रमा www.jainelibrary.org

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