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वैश्रमण देव रत्नों से राजकुल को भरने लगे । अतः उनका नाम 'वासुपूज्य' रग्वा गया ।" देवता जिसकी पूजा करते हैं वह वासुपूज्य है—यह व्युत्पत्तिलभ्य अर्थ है । "
१३. विमल - भगवान् विमल के गर्भ में आने पर उनकी माता का शरीर तथाबुद्धि निर्मल हो गई अतः उनका नाम 'विमल' रखा गया । २५
जिसका ज्ञान निर्मल है वह विमल है - यह व्युत्पत्तिलक्ष्य अर्थ है "
१४. अनंत - भगवान् अनंत जब गर्भ में आए तब उनकी माता ने अति विशाल रत्नजटित माला को स्वप्न में देखा था अत: उनका नाम 'अनंत रखा गया । " जिन्होंने अनंत कर्माशों को जीत लिया है अथवा जिनका ज्ञान आदि अनंत है वह अनंत है यह व्युत्पत्तिलक्ष्य अर्थ है
१५. धर्म - भगवान् धर्म जब गर्भ में आए तब उनकी माता विशेष रूप से धर्मपरायण हुई अत: उनका नाम 'धर्म' रखा गया । "
जो दुर्गति में गिरते हुए प्राणियों को धारण करता है वह धर्म है—यह व्युत्पत्तिलभ्य अर्थ है । "
१६. शान्ति - भगवान् शान्ति जब गर्भ में आए तब उपद्रव शान्त हुए अतः उनका नाम 'शान्ति, रखा गया ।" जो शान्ति करने वाले हैं वे शान्ति हैं - यह व्युत्पत्तिलभ्य अर्थ है ।"
१७. कुन्थु – सुन्दर और उन्नत विशाल भू-भाग पर रत्नमयस्तूप को स्वप्न में देखकर भगवान् कुन्थु की माता जागृत हुई अतः उनका नाम कुंथु रखा गया ।" जो पृथ्वी पर स्थित है वह कुन्यु है यह व्युत्पत्तिलक्ष्य अर्थ है ।"
१८. अर - भगवान् अर जब गर्भ में आये तब उनकी माता ने स्वप्न में एक सुन्दर और विशाल अर (चक्र) को देखा अतः उनका नाम 'अर' रखा गया ।"
सर्वोत्तम और महाशक्तिशाली कुल में उत्पन्न होता है और उसकी वृद्धि करता है उसे 'अर' कहा जाता है ।" अतः उन्हें अर कहा गया है ।
१६. मल्लि - भगवान् मल्लि जब गर्भ में आये तब उनकी माता को सब ऋतुओं के सुगंधित फूलों की माला से बनी शय्या पर सोने का दोहद हुआ अतः उनका नाम 'मल्लि' रखा गया। जिसने परोषहरूपी मल्ल को जीत लिया है वह मल्लि है यह व्युत्पत्तिलक्ष्य अर्थ है । "
२०. मुनि सुव्रत- भगवान् मुनिसुव्रत जब गर्भ में आये तब उनकी माता सुव्रता ( व्रतपरायण ) हुई अतः उनका नाम 'सुव्रत रखा गया । आवश्यकचूर्णि के अनुसार उनके माता-पिता दोनों सुव्रत हुए अतः उनका नाम सुव्रत रखा गया ।"
जो तीनों काल की अवस्थाओं को जानता है वह मुनि है तथा जिनके व्रत अच्छे हैं वह मुनि सुव्रत है - यह व्युत्पत्तिलक्ष्य अर्थ है । 18 २१. नमि - भगवान् नमि जब गर्भ में आये तब शत्रु राजाओं ने उनके नगर पर आक्रमण कर दिया । गर्भ के प्रभाव से उनकी माता के मन में महल की अट्टालिका (छत) पर जाने की इच्छा हुई । वह वहां गई । उसे देखकर गर्भ के प्रभाव से शत्रु राजा
खण्ड १७, अंक ४ (जनवरी-मार्च, ६२ )
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