Book Title: Tulsi Prajna 1992 01
Author(s): Parmeshwar Solanki
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 35
________________ चौकी पर एक ओर चार तथा दूसरी ओर पांच ग्रह-शीश अंकित हैं, बांई ओर शिशु क्रीडा में अम्बिका तथा दूसरी ओर कुबेर।। ५. अश्वारूढ़ देवी पीछे सं० १११२ आषाढ़ सुदि ५ का लेख है। जटाधारी देवी अश्वारूढ़ बैठी है तथा चारों हाथों में भिन्न-भिन्न आयुध लिए है यथा-तीर, ढाल, धनुष इत्यादि । ६. अद्भुत देवी प्रतिमा प्रतिमा लचकदार मुद्रा में खड़ी है । चरण चौकी गोल है तथा देवी ने वामहस्त में कमल धारण कर रखा है । मध्यकालीन धातु कला की यह सुन्दर कृति है। ७. पंचतीर्थी पीछे चार पंक्तियों का लघुलेख । ऊंचाई साढ़े छः इञ्च । नीचे एक पंक्ति में ५ और ४ संख्या में क्रम से नवग्रह प्रदशित हैं। २. पाषाण प्रतिमाएं १. नेमीनाथ सफेद संगमरमर से बनी नेमिनाथ की यह प्रतिमा साईज में "२१ x १७ १/२" नाप की है । प्रतिमा पर शंख का निशान द्रष्टव्य है । २. महावीर सफेद संगमरमर से बनी महावीर की इस प्रतिमा का लेख इस प्रकार है-"संवत् १२३२ जेष्ठ सुदी ३ श्री खंडिल्लगच्छं श्री वर्धमाल''साधु तेहउ तत्पुत्र "रा धराभ्यां कारिता नव्या मूर्ति शाच ।” ३. आदिनाथ जैसलमेरी पीले पत्थर पर निर्मित आदिनाथ की इस प्रतिमा पर संवत् १५०० मगसर सुदि २ का लेख अंकित है। ४. अजितनाथ सफेद संगमरमर से निमित्त अजितनाथ की इस प्रतिमा पर, संवत् १५०१ वैशाख सुद २, का लेख अंकित है । प्रतिमा पर चिन्ह के रूप में हाथी भी अंकित है। ५. महावीर सफेद संगमरमर से निर्मित महावीर की इस प्रतिमा पर संवत् १५०१ वैशाख सुद ३ का लेख अंकित है। चिन्ह के रूप में सिंह भी चित्रित किया गया है । ६. महावीर पीले जैसलमेरी पत्थर पर निर्मित महावीर की इस प्रतिमा पर संवत् १५२१ माघ सुद १२ का लेख उत्कीर्ण है। 00 खण्ड १७, अंक ४ (जनवरी-मार्च, १२) २०५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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