Book Title: Tulsi Prajna 1992 01
Author(s): Parmeshwar Solanki
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 48
________________ ७. तेतली प्रधान रो बखाण ८. थावच्चा पुत्र रो बखाण ६. नंदणमणिहार रो बखाण १०. पुंडरीक-कुंडरीक रो बखाण ११. मल्लिनाथ रो बखाण १२. जिनरिख-जिनपाल रो बखाण १३. सकडाल पुत्र रो बखाण १४. तामली तापस रो बखाण १५. मृगालोढा रो बखाण १६. उंबरसा रो बखाण १७. सुबाहु कुमार रो बखाण १८. धन्ना अणगार री चौपई १६. गोसाला री चौपई २०. चेलणा रो चोढालियो २१. सास बहू रो चोढालियो (ख) आचार्य भिक्षु के गद्यात्मक साहित्य का विषयानुसार वर्गीकृत विवरण इस प्रकार है १. ३०६ बोळां री हुंडी ७. इन्द्रियवादी री चर्चा २. १८१ बोळां री हुंडी ८. द्रव्यजीव-भावजीव री चर्चा __ चर्चा ६. टीकम डोसी री चर्चा १. पांच भाव री चर्चा १०. निक्षेपां री चर्चा २. जोगा री चर्चा ११. भिक्खु पृच्छा ३. खुली चर्चा थोकडा ४. आस्रव-संवर री चर्चा १. तेरा द्वार ५. जिनाज्ञा री चर्चा २. जीव पदार्थ ऊपर पांच भाव से १. कालवादी री चर्चा - थोकडो ३. आत्मा रो थोकडो ४. उदय निष्पन्नादिक ऊपर पांच भाव रो थोकडो इन सबके अतिरिक्त आचार्य भिक्षु ने अनेक लिखत लिखे हैं। संघ-व्यवस्था तथा मानव-मन को समझने में वे अमूल्य हस्ताक्षर हैं। विविध रूपों में उनकी संख्या ३७ इस तरह ३८ हजार पद्य-परिमाण, उनका साहित्य राजस्थानी की एक अनुपमनिधि है, यह कहने में जरा भी संकोच नहीं होता। --क्रमशः २१८ तुलसी प्रज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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