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किपागफलोवमा विसया
श्री श्रीचन्द रामपुरिया
1. यह एक प्रचलित कहावत है कि विषय किम्पाक फल के तुल्य होते हैं :
चवलो इंदिय-गामो राग-दोसा य दुज्जया लोए। अणवठ्ठियं च चित्तं किंपागफलोवमा विसया ॥1
आयारो (312) के सूत्र "अरए पयासु" की टीका करते हुए दीपिकाकार ने भी ठीक ऐसी ही बात कही है
"विषयाः किंपाकफलोपमाः । अतो विषयपराङ्मुखो भवेदिति ।"
रामायण के एक प्रसंग में उल्लेख है कि लुब्ध मनुष्य दोषों को वैसे ही नहीं समझता है, जैसे किम्पाक फल के भक्षण करने वाला उसके दुष्परिणाम को -"न लुब्धो बुध्यते दोषान् किपाकमिव भक्षयन् ।'
प्रश्न उठता है कि विषयों को किंपाक फल की उपमा क्यों दी गई ? किंपाकफल की क्या विशेषता होती है ? यह किस तरह का फल है ? .
1. सुरसुन्दरी चरिअं 12/138 2. वाल्मीकि रामायण 2/66/6
तुलसी प्रज्ञा
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