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5. डॉ. सज्जनसिंह लिश्क
6. डॉ. शिवकुमार शर्मा
शोध विभाग के अन्तर्गत प्रति रविवार को एक गोष्ठी जैन विश्व भारती के श्रुतसम्बोधि भवन में करने की योजना है। इस क्रम में अभी तक मुनि श्री नथमलजी के प्राचार्य भिक्षु का अहिंसा दर्शन' विषय पर दो प्रवचन हो चुके हैं ।
अनुसन्धान विभाग के अन्तर्गत चल रहे अंग-शब्द-सूची का कार्य विशेष उल्लेखनीय है । यह कार्य मुनि श्री श्रीचन्दजी द्वारा हो रहा है। इस विभाग के अन्तर्गत जैन-धर्म-दर्शन के विशेष सन्दर्भ में अनुसन्धानपद्धति पर डॉ. दयानन्द भार्गव के तीन व्याख्यान आचार्य श्री के सान्निध्य में हुए ।
जैन उपाङ्ग साहित्य का सम्पादन समाप्तप्राय है तथा उनका प्रकाशन कार्य शीघ्र ही होगा ।
जैन विश्व भारती की जैन विद्या परिषद् का वार्षिक अधिवेशन ७, ८, ६, अक्तूबर को आयोजित हो रहा है जिसमें ५० विद्वानों को आमन्त्रित किया गया है । अनेक विद्वानों के आने की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है ।
साधना विभाग के अन्तर्गत प्रेक्षाध्यान का अभ्यास मुनि श्री किशन लालजी नियमित रूप से करवा रहे हैं । इन ध्यान कक्षाओं में अधिकाधिक संख्या में भाई हि भाग ले रहे हैं । ध्यानाभ्यास के पूर्व योगासन की भी व्यवस्था है । प्रज्ञा प्रदीप भवन में ३०० व्यक्तियों के बैठ सकने योग्य एक भूगर्भ स्थित ध्यान महाकक्ष के निर्माण होने से आसन एवं ध्यान के कार्यक्रम सुचारु रूप से चल जायेंगे । समय-समय पर साप्ताहिक तथा पाक्षिक पारिवारिक ध्यानशिविरों की व्यवस्था भी चल रही है । इस क्रम में दिनांक १० अक्टूबर से १६ अक्टूबर तक साधना शिविर का आयोजन किया जा रहा है ।
जैन विश्व भारती की प्रार्थिक स्थिति सुदृढ़ बनाने के लिए अन्य योजनाओं के अतिरिक्त एक विसर्जन निधि योजना बनायी गयी है । इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक परिवार को प्रतिदिन एक रुपये के लक्ष्य से प्रति वर्ष 365 रुपये जैन विश्व भारती की विसर्जन निधि में देय है । इस योजना के अ ंतर्गत 4000) की राशि देने वाला व्यक्ति अमर विसर्जन सदस्य कहलाएगा। उसके द्वारा विसर्जित राशि को विश्व भारती के स्थायी कोष में जमा रखा जायगा और ब्याज का ही उपयोग किया जायगा । इस विषय में लोगों से अपील करने के लिए जैन विश्व भारती के कुलपति ने श्री गोपीचन्द जी चोपड़ा, प्रशासक, और श्री जयचन्द लाल जी कोठारी उप मंत्री के साथ दो दौरे किए जिसमें आशातीत सफलता मिली ।
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कुलपति जैन विश्व भारती
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