________________
इस वर्ष आचार्य श्री के पर्युषण-प्रवचन सुधर्मा सभा में सफलता पूर्वक सम्पन्न हुए, जिनमें हजारों की संख्या में देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए यात्री उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत कई विशिष्ट विद्वानों के भाषण भी हुए।
उपर्युक्त सभी विभागों के कार्यक्रम एवं भावी परिकल्पनाओं को लिपिबद्ध किया जा चुका है तथा मंगरेजी एवं हिन्दी परिचय-पत्रिकाओं के रूप में उनका मुद्रण कराया जा रहा है।
पारमार्थिक शिक्षण संस्था की बहिनों के पाठ्यक्रम भी संशोधित किये गये हैं एवं अध्यापनार्थ पांच नये व्याख्याताओं के पद सृजित किये गये हैं । इन पदों को विज्ञापित किया गया। योग्य व्यक्तियों की नियुक्ति अभी विचाराधीन है।
अध्यापन कार्य के स्तर को उन्नत बनाने के लिए डॉ. दयानन्द भार्गव ने एक विस्तृत योजना बनायी जिस पर समुचित विचार किया गया। फलस्वरूप उपयुक्त पद सृजित किये गये।
गत ग्रीष्मावकाश में डॉ. भार्गव ने स्वयं जैन विश्व भारती में रह कर सतियों एवं पारमार्थिक शिक्षण संस्था की बहिनों के समक्ष जैन न्याय पर विशिष्ट व्याख्यान दिये । गत अगस्त मास से डॉ. नथमल टाटिया भी नियमित रूप से सतियों एवं बहिनों को बौद्ध दर्शन (अभिधर्म) पढ़ा रहे हैं, जिसका उद्देश्य जैन और बौद्ध दर्शन के तुलनात्मक अध्ययन द्वारा शोघ-खोज की नई दिशाओं को उन्मुक्त करना है।
प्राचार्य श्री स्वयं सतियों एवं बहिनों को जैन आगमों का अध्यापन करा रहे हैं, जो अध्येताओं में एक नयी चेतना प्रदान कर रहा है।
शिक्षा के क्षेत्र में जैन विश्व भारती ने एक नया कदम उठाया है। जैन दर्शन एवं धर्म के जिज्ञासुओं को व्यापक तथा व्यवस्थित ढंग से लाभान्वित करने के लिए एक पत्राचार पाठ्यक्रम की योजना प्रस्तुत की गई है जिसके अन्तर्गत वर्ष भर में २४ पाठों की एक पाठमाला की व्यवस्था है। कई पाठ तैयार कर लिये गये हैं। निकट भविष्य में इस योजना को कार्यान्वित किया जा रहा है। ...
गत अप्रैल से अभी तक जिन विद्वानों के विशिष्ट भाषण हुए उनकी सूची इस प्रकार है :
1. मुनि श्री नथमलजी 2. डॉ. अश्विनी कुमार राय 3. डॉ. मुरडिया 4. डॉ. शक्तिधर शर्मा
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org