Book Title: Tulsi Prajna 1977 04
Author(s): Shreechand Rampuriya, Nathmal Tatia, Dayanand Bhargav
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 198
________________ Regd, No. R. N. 28340/75 TULASI PRAJNA April-Sept. 77 8-00 90-00 80-00 जैन विश्व भारती, लाडनं महत्त्वपूर्ण प्रकाशन वाचना प्रमुख : आचार्य श्री तुलसी विवेचक तथा सम्पादक : मुनि श्री नथमलजी मागम ग्रन्थ 1. अंगसुत्ताणि / (प्रायारो, सूयगडो, ठाणं, समवाओ) 2. अंगसुत्ताणि 2 (भगवई : विआहपण्णत्ती) 3. अंगसुत्ताणि 3 (णायाधम्मकहाओ, उवासगदसायो, अंतगडदसायौ, अणुत्तरोववाइयदसाओ, पण्हावागरणाइ, विवागसुर्य) उपर्युक्त तीनों ग्रन्थ संशोधित मूलपाठ, पाठान्तर, पाठान्तर-विमर्श, "जाव" पूर्ति और उसके आधारस्थल, विषयसूची, सम्पादकीय तथा भूमिका से युक्त, प्रत्येक भाग 1100-1200 पृष्ठ। 4. दसवेआलियं (द्वितीय संस्करण) पृष्ठ 612 साईज डिमाई। 5. ठाणं 1200, 6. आयारो मूलपाठ, हिन्दी अनुवाद तथा टिप्पण 7. दशवैकालिक (गुटका) मूलपाठ 8. उत्तराध्ययन (गुटका) मूलपाठ 6. दशवकालिक तथा उत्तराध्ययन-मात्र हिन्दी अनुवाद 10. दशवैकालिक, उत्तराध्ययन (हिन्दी-पद्यानुवाद) आगमेतर ग्रन्थ 1. श्रमण महावीर—मुनिश्री नथमल 2. भगवान महावीर-आचार्य श्री तुलसी 2. भरतबाहुबलिमहाकाव्यं-अनु० मुनि श्री दुलहराज 4. सत्य की खोज : अनेकांत के आलोक में मुनि श्री नथमल 2. थ्योरी ऑफ एटम इन जैन फिलोसफी-जे० एस० जवेरी 6. श्रेणिक बिम्बिसार एण्ड कूणिक अजातशत्रु 7. प्रतिदिन का एक विचार (गुटका)-श्रीचन्द रामपुरिया 85-00 125-00 30-00 1-00 3-50 15-00 10-00 16-00 5-00 30-00 5-00 8-00 7-00 4-00 -:प्राप्ति स्थान :जैन विश्व भारती, लाडनू (राजस्थान) Jain Vishva Bharti, Ladnun (Raj.), 341305. प्रकाशक-मुद्रक : रामस्वरूप गर्ग, कार्यालय-सचिव, जैन विश्वभारती लाडन, श्याम प्रस, लाइन के लिए सियोल प्रिंटर्स दिल्ली में मुद्रित / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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