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सियन्स (Phoenicians) तो इससे भी बहुत पहले ज्योतिषी के रूप में प्रसिद्धि पा चुके थे ।11
उन्होंने अपना ज्ञान मिश्र निवासियों से नहीं बल्कि चाल्डियन्स और सिरयाइयों से प्राप्त किया था। इसी समय परसियन्स ने भी ज्योतिष के ज्ञान में अच्छी प्रसिद्धि पाई पर उन्होंने भी यह ज्ञान चाल्डियन्स (Chaldeans) से ही प्राप्त किया था। 12
उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि टालमी से पूर्व कई ज्योतिषी हो चुके थे व वास्तविकता यह है कि उसने अपना ज्योतिष सम्बन्धी कार्य वहीं से शुरू किया जहां हिपार्कस (Hipparchus) ने समाप्त कर दिया था ।13
इस पर भी यदि कुछ विद्वान उसे प्रथम ज्योतिषी मानना चाहते हैं तो उनका सिर्फ एक तकं हो सकता है कि उसने अपने ज्योतिष सम्बन्धी ज्ञान को व्यवस्थित रूप से अपनी ज्योतिषशास्त्रीय पुस्तक टेट्रोबिब्लाज (Tetrobiblos) व खगोल शास्त्रीय पुस्तक अल्मागेस्ट (Almagest) व दी ग्रेट कन्सट्रक्शन (The Great Construction) में लिख कर भावी पीढ़ी को उपलब्ध कराया व साथ ही साथ उसने अपने ज्ञान को वैज्ञानिकता की कसौटी पर कसते हुए कुछ नये सिद्धांत भी बताये ।14
पर सिर्फ इसी देन के कारण उसे ज्योतिष का पिता या प्रथम ज्योतिषी मान लेना उचित प्रतीत नहीं होता है । इसलिए यह बात सही नहीं है कि टालमी ज्योतिष का पिता या प्रथम ज्योतिषी या ज्योतिषशास्त्र का उत्पत्तिदाता था।
कुछ विद्वान् जिनमें फ्रांस के खगोलशास्त्री बिनोट (Biot) व हिटने (Whitney) मुख्य हैं, यह मानते हैं कि ज्योतिषशास्त्र की उत्पत्ति चीन व अरब में हुई है।
जब हम चीन के साहित्य का अध्ययन करते हैं तो ज्ञात होता है कि उनके साहित्य में नक्षत्र पहले 24 ही थे और बाद में करीब 1100 B.C. में 28 नक्षत्र बने और वे भी कहीं क्रमवार व ऋतुओं से सम्बन्धित नहीं हैं व उनकी सारणियाँ भी भिन्न हैं । जबकि भारतीय साहित्य में करीब 1400 B.C. में 27 नक्षत्र माने जाते थे और वे क्रमवार व ऋतुओं से जुड़े हुए थे जैसे प्रार्दा वर्षा ऋतु में ही आता
11. Ibid, p. XI 12. Tucker, William J., Ptolemaic Astrology, 1974, p. XII 13. Ibid, p. XV 14. Ibid, p. XVI 15. Kane, P.V., History of Dharm Sastra, Vol-V. Pt. I, 1958, ___p. 508.
खं. ३ अं. २-३
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