Book Title: Tulsi Prajna 1977 04
Author(s): Shreechand Rampuriya, Nathmal Tatia, Dayanand Bhargav
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 192
________________ जैन विश्व भारती : प्रवृत्ति एवं प्रगति जैन विश्व भारती की विविध प्रवृत्तियों को गत कुछ महीनों में और भी अधिक सुदृढ़ किया गया है। ... जैन विश्व भारती के शिक्षा विभाग के अन्तर्गत एक महिला महाविद्यालय की स्थापना की जा चुकी है तथा एतदर्थ 'ब्राह्मी विद्या विहार' भवन का निर्माण भी अखिल भारतीय तेरापन्थी महिला परिषद् द्वारा प्रदत्त एक लाख की राशि द्वारा सम्पन्न होने जा रहा है। इस महाविद्यालय में, जो अभी पारमार्थिक शिक्षण संस्था के भवन में चल रहा है, अध्ययन-अध्यापन का कार्य नियमित रूप से चालू कर दिया गया है। शोध-विभाग की प्रवृत्तियों को भी गतिशील बनाया गया है। इस विभाग में निदेशक के. रूप में डॉ. नथमल टाटिया, (भूतपूर्व निदेशक, वैशाली शोध संस्थान तथा नव नालन्दा महाविहार), सह-निदेशक के रूप में डॉ. दयानन्द भार्गव (रीडर, संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) एवं कनीय शोध-पदाधिकारी के रूप में डॉ. पुष्पा गुप्ता को नियुक्त किया गया है। प्रसिद्ध शिक्षाविद् एवं संस्कृत के लब्धप्रतिष्ठ विद्वान् श्री लक्ष्मीनारायण ओम प्रकाश जोशी ने जैन विश्व भारती के परामर्शक के रूप में अपनी अमूल्य सेवाएँ अर्पित की हैं। उपर्युक्त दो विभागों के अतिरिक्त साधना विभाग भी गतिशील है। इस विभाग के लिए मानद सह-निदेशक के रूप में श्री धर्मचन्द लूणिया को नियोजित करने का प्रयास चल रहा है। साधना के लिए एक बासठ कक्षीय भवन का निर्माण चौथमल वृद्धिचन्द गोठी चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा प्रदत्त राशि से किया गया है, जिसका नाम प्रज्ञा-प्रदीप रखा गया है। सभी विभागों के उपयोग के लिए 'सुधर्मा सभा' नामक एक विशाल स्थायी सभा मण्डप का निर्माण कार्य समाप्ति पर है। इस सभा-मंडप का प्रांगण १५०० वर्गफुट विस्तृत है। इसका निर्माण श्री कालू जन्म शताब्दी समारोह समिति, छापर द्वारा प्रदत्त एक लाख की राशि से सम्पन्न हुमा है । पदाधिकारियों के आवास हेतु भिन्न भिन्न व्यक्तियों की आर्थिक सहायता से चार आवास गृहों का निर्माण किया गया है । इनके अतिरिक्त एक स्वागत कक्ष और एक जलागार का निर्माण भी किया जा चुका है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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