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गाथा:३०९
ज्योतिलोकाधिकार
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वासना। अपस्योपस्य समुदस्य वा बलगण्यासं उभयविगतमेलनात हिगुणं स्थापयित्वा १६ला तपा ततोर्वाचीनानां बीपप्तमुबारा चलय म्यासं सगुणं द्विगुणं स्थापयेक्ष ८० लसम्प त्य विग्वयाभावावात्मप्रमाण मेय एल. स्थापयेत् । ततः व्यासान न्यासः । १६... ल... ल. गुणसङ्कलनार्थः। पत्र द्वितीयस्थाने शून्ये लक्षद्वयमृणं प्रक्षिपेव १६ल, दल, स०, ल०, १ला। एवंकृते साक्षिकगन्छोरपति भवति । सम्पधार्य रूपाहियपबदुगं संबगे" इत्युक्त । अत्र "परमेसे गुण्यारे" इत्यनेन पुगसङ्कलनसूत्रेण रूपाविरुपयमात्र विकसंवर्गणोल्पनराशा ३२ वेकरूपं प्राक् प्रक्षिप्त ऋणद्वयं बापनयेत । इयमेवावधायं तिलसविहोणे" स्युक्त। एवं कृते इष्टस्याने सूचीमासप्रमारणमुत्पद्यते ॥ ३०९ ॥
इच्छित द्वीप व समुद्र का सूची व्यास एवं वलय व्यास लाने के लिये करण सूत्र कहते हैं :
गाथा - गच्छ के प्रमाण को एक जगह एक मङ्क ( गच्छ-१) होन और एक जगह एक अङ्ग अधिक ( गच्छ+t) कर स्थापित करने पर जो प्राप्त हो उतनी बार दो का संवर्गन कर अर्थात् उतनी बार दो का अङ्क रख कर परस्पर गुणा कर उसे पुनः एक लाख से गृणित करे, जो जो लम्ध प्राप्त हो उसमें से प्रथम स्थान के लब्ध में से शुन्य और द्वितीय स्थान के लन्ध में ले ३ लाख घटाने पर क्रम से वलय व्यास और सूची व्यास का प्रमाण प्राप्त हो जाता है ।। ३०६ ॥
विशेषार्थ :- जम्बूद्वीप से कालोदक समुद्र चौथा है, और यही पार हमारा इष्ट गच्छ है । इसे एक हीन और एक अधिक कर स्थापित करना चाहिये । यथा
वलय ध्यास =कालोदक समुद्र पर्यन्त द्वीप समुद्रों की संख्या ४-१ =३
सूची व्यास-कालोदक समुद्र पर्यन्त द्वीप समुद्रों की संख्या ४ + १-५
वलय व्यास-२२४ लाल-. अर्थात तीन का विरलन कर प्रत्येक एक के अङ्क पर दो दो दय देकर परस्पर गुणा कर जो लब्ध प्राप्त हो उसे एक लाख से मुणित कर लब्ध में से शून्य घटाने पर वलय व्यास का प्रमाण प्राप्त हो जाता है। जैसे-१३ २०६४ १ लाख ८००००० &0000० - ६००००० ( आठ लाख ) बलम व्यास का प्रमाण प्राप्त हुआ। इसी प्रकार सूची व्यास :- ( पाँच का विरलन ) २२१३२-३२४१ लाख = ३२०८०-३००००० = २९००००० ( अन्तीस लाख) अथात् ११६०००००००० मील सूची व्यास का प्रमाण प्राप्त हुआ।
वलय प्यास लाने के लिये वासना :--जम्बूद्वीप का व्यास एक लाख योजन प्रमाण है। इसके मागे लवणासमुद्रादि का ब्यास दूने दूने प्रमाण वाला है, इसी कारण एक कम गच्छ प्रमाण दो के अङ्ग स्थापित कर परस्पर में गुणा करने से जो लान प्राप्त हो उसको जम्बूद्वीप के व्यास से मुणिच