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त्रिलोकसार
गाया। ११८ और नैऋत्य में तीनों पारिपद् देवों के तथा नैऋत्य दिशा में तैतीस मासन बायस्त्रिश देवो के हैं ।। ५१७॥
विशेषार्थ :- अट्र पट्ट देवांगनाओं के आसनो' से बाहर पूर्व दिशा में सोम दक्षिण में यम, पश्चिम में वक्षण और उत्तर में कुवेर नामक चारों लोकपालों के चार आसन है। इन्द्र के सिंहासन को भाग्नेय दिशा में आम्पन्तर परिषद के १२००० देवों के, दक्षिण दिशा में मध्य परिषद के १४... देवों के तथा नैऋत्य दिशा में बास परिषद के १६.०० देवों के सासन हैं। वायस्त्रिश देवों के तेतीस मासन मात्र नैऋत्य दिशा में ही हैं।
सेणावईणभयरे समापियाणं तु परणईसाणे । सणरक्खाणं महासणाणि चउदिसगयाण पहिं ।। ५१८ ॥ सेनापतीनामपरस्यां सामानिकानां तु पवनेशाने ।
तनुरक्षाणां शासनानि चतुर्दिशागताने पहिः ॥ ५१८ ॥ सेणाबईण । सेनापतौना ७ मासनापपरस्या रिशि सन्ति । सामानिकानामासनानि वायव्या विशि ४२०.. सन्ति । ऐशाम्या विशि ४२००० सन्ति। एतरमावहिः सतुरमका महासनानि पतुदिग्गतानि सन्ति ८४००० । २४.
1 0.1८४.० ॥ १८ ॥ पाया:-सेनानायकों के सात शासन पश्चिम दिशा में हैं। सामानिक देवों के वायध्य और ईशान कोण में तथा इनसे बाहर अंगरक्षक देवो के भद्रासन चारों दिशाओं में हैं ॥ ५१८ ।।
विशेषार्थ :-- इन्द्रासन की पश्चिम दिशा में सातों सेनानायकों के सात आसन हैं । सौमर्मेन्द्र के सामामिक देवों के कुल बासन ८४.०. हैं; उनमें से ४२... आसन वायव्य दिशा में और ४२००, देवों के मासन ईशान दिशा में हैं। इनके मासनों से बाहर तरक्षक देवों के ८४०.० आसन पूर्व दिशा में, ५४... दक्षिण में, ८४००० पश्चिम में और ८४००० आसन उत्तर दिशा में है।
भास्थान-मण्डप में स्थित इन्द्रासन एवं उसको बाठों दिशाओं में लोकपालादि देवो' के वासनों का चित्रण निम्नाङ्कित है :--
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