Book Title: Triloksar
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
Publisher: Ladmal Jain

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Page 802
________________ त्रिलोकसार पापा : ९९५ से १००१ ऊँचाई साधिक सोलह योजन है । यस प्रेक्षण मण्डप के भागे दो योजन ऊंचा, अस्सी योजन चौड़ा, चौकोर और स्वर्णमय पीठ है। उस पीठ के मध्य में चार के धन ( ६४ योजन ) प्रमाण चौड़ा और सोलह योजन ऊंचा, चौकोर मणिमय मास्थान मण्डप है। उसके आगे चालीस योजन ऊँचे स्तूप का मणिमय पोळ है । जो चार द्वारों और बारह पवेदियों से संयुक्त है। उस पीठ के मध्य में तीन मेखलाओं कटानियों से महित, चार के घन प्रमाण पत्र योपन IED योजन पौड़ी और ६४ योजन ऊंचा, बहरत्नों मे रचित और जिनविम्ब से उपचित स्तूप है । नवों स्तूपों का स्वरूप इसी क्रम से है । उस स्तूप के आगे हजार योजन सम्बा. हजार योजन चौहा बारह वेदियों से संयुक्त स्वर्णमय पीट है। उस पीठ के ऊपर मणिमय तीन कोटों से संयुक्त सिद्धार्म और चत्य नाम के दो वृक्ष हैं। उन वृक्षों के स्कन्ध ४ योजन बम्बे और एक योजन चौड़े हैं। बारह योजन लम्ची चार महाशाखाएँ एवं अनेक छोटी शाखाएं हैं। उन वृक्षों का उपरिम भाग बारह मोजन चौड़ा है । वे वृक्ष नाना प्रकार के पत्र, फल और फलों से सहित हैं। उनके परिवार वृक्षों को संस्था पद्मबह के मुख्य कमल के परिवार कमलों के प्रमाण से पाच अधिक है ॥९६५ से १००१ तक ॥ { सप्तक) विशेषा:-जिनमन्दिर के धागे जिनमन्दिर के हो सदृश १०० योजन लम्बा, ५० योजन चौड़ा और १६ योजन ऊंचा मुखमण्डप है । उस मुख मण्डप के आगे धोकोर प्रेक्षण मण्डप है। जो ५०० योजन बोया १०० पोषन लम्बा और साधिक १६ योजन ऊंचा है। उस प्रकरण मण्डप के आगे ८० योजन लम्बा, मोबन पाया और वो पोजन ऊंचा ( चौकोर ) स्वर्णमय पीठ है। चबूतरे का नाम पीठ है। उस पोठ के मध्य में चौकोर, मणिमय, १४ योजन लम्बा, चौड़ा और १६ योजन ऊंचा मास्थान मण्डप है । सभामण्डप का नाम आस्थान मण्डप है। इस आस्थान मण्डप के मागे ४० योजन ऊंचे स्तूप का मणिमय पीठ है । वह पीठ चार गोपुर द्वारों एवं बारह पा वेदियों से सहित है । उस पीठ के मध्य में तीन मेवलाओं अर्थात् कटनी से सहित ६४ योजन लम्बा, ६१ योजन चौड़ा और ६४ योजन ऊंचा, बहुरत्नों से रचित और जिन बिम्ब से उपचित स्तूप है। इसी प्रकार के नव स्तूप हैं । अर्थात नव हो स्तूपों के स्वरूपों का वर्णन इसी स्तूप सहश है । इन स्तूपों के ऊपर जिनबिम्ब विराजमान हैं। इस स्तूप के आगे अर्थात् चारों ओर १०.० योजन लम्बा, १००० योजन चौहा बारह वेदियों से संयुक्त स्वर्णमय पीठ है । उस पीठ के ऊपर सिजामं और चैत्य नाम के दो वृक्ष हैं। गिन वृक्षों का स्कन्ध ४ योजन लम्बा और एक योजन चौड़ा है । जिनके चार चार महाशाखाओं की लम्बाई १२ योजन प्रमाण है। इनमें छोटी पानाएं अनेक है । इनका उपरिम भाग अर्थात् शिखर १२ योजन चोड़ा है। ये वृक्ष नाना प्रकार के पत्र पुष्प और फलों मे सहित हैं। इनके परिवार वृक्षों की संख्या पद्रह के मुख्य कमल के परिवार कमलों के प्रमाण से ५ अधिक है अर्थात् एक काख चाळीस हजार एक सौ बीस है।

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