Book Title: Triloksar
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
Publisher: Ladmal Jain

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Page 767
________________ पापा : ५३२-१३३ नरतियंग्लोकाधिकार ७२३ पर्वतों का ध्यास ४००० योजन, तीन विभङ्गा नदियों का पास ५० योजन और देवारण्य का व्यास ५८४४ योजन मिलाकर प्राप्त हुए (४..+५० + ५४४)- १०५६४ योजनों को घटा देने पर पवंतादि से रहित विदेह के एक भाग सम्बन्धी शुद्ध क्षेत्र का व्यास (८७४२१---४)-०६८२७ योजन होता है । यह क्षेत्र का प्रमाण आठ विदेह देशों का है। ___ जबकि ( गाठ) - विदेह देशों का शुद्ध क्षेत्र ७६८२७ योजन है, तब १ देश का कितना क्षेत्र होगा ? इस प्रकार त्रैराशिक करने पर (७६६२७४१-६६० योजन व्यास कच्छ देश के पूर्व पश्चिम भाग का हुमा । यहाँ समबछेद विधान से प्रश और प्रशिक्ष को मिलाने पर "६* योजन हुए, इसका "विष्कम्भवग्गदह गुण" गाथा ६६ के नियमानुसार करणि रूप परिषि ५१७२१२९० योजन हुई । इसका वर्गमूल ग्रहण करने पर २४३३४० योजन हुए इसे स्वभागहाय से भाषित करने पर कच्छ देश के व्यास की परिधि का प्रमाण ३०३६८१ योजन प्राप्त हुया । यहाँ समच्छे विधान से अंश मशि को मिला देने पर 0930 योजन होते हैं। जबकि घातकी बण्ड के एक भाग में कछ देश के व्यास की परिधि का प्रमाण ०१ योजन है. तब दोनों भागो का कितना प्रमाण होगा ? इस प्रकार साशिक करने पर ६०४३४४ २ योजन प्राप्त हुए । यहाँ पर्वतों का व्यास समान है अतः उनमें वृद्धि का अभाव है. इसलिए पर्वतों की १६८ शलाकाएं घातको खण्ड की ३०० मिम शलाकारों में से घटा देने पर २१२ शलाकाएं अवशिष्ट रहीं। जबकि २१२ शलाकाओं का वृद्धिक्षेत्र ६०४३७४२ योजन है, तब विदेश की ६४ शलाकाओं का कितना क्षेत्र होगा ? इस प्रकार राशिक करने पर विदेह का सर्व वृद्धि क्षेत्र का प्रमाण १०७३७४६४४५ X२१२ योजन हुआ। जबकि ( नदी के दक्षिणोत्तर तट रूप ) दो प्रान्तों का वृद्धि क्षेत्र ६७३७४१४६४ २x२१२ योजन है, तब एक एक प्रान्त का कितना होगा ? इस प्रकार राशिक करने पर भटशाल को वेदो के आयाम से कच्छ देश के अन्त में मायाम का वृद्धि प्रमाण क्षेत्र ३.४३.x२x६४ योजन हुआ। २१२४२४२ 'मुखभूमि समासा मध्यफ' इस भ्याय से आदि मे मन्त पर्यन्त वृद्धि का ओ यह प्रमाण है, उसको आधा करने के लिए दो का भाग देने पर १०.३०x२x६४ पोजन होता है। इसको यथायोग्य अपवर्तन २१२x२x२x२ करने पर ६०.३७४३२ योजन रहा। जो "बत्तीसगुणा तेहि वड्डीं" गावा ६३२ को अनुसार सिन हुआ । अर्थात् गाया में कहा गया था कि कच्छ देश के व्यास की परिधि को ३२ से गुणित कर २१९ का भाग देने पर ६०७३७४ ३२ योजन वृद्धि का प्रमाण प्राप्त होता है अतः यह पूर्वोक्त कपन सिद्ध हुआ। २१२x२ २१९४२

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