Book Title: Triloksar
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
Publisher: Ladmal Jain

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Page 758
________________ त्रिलोकसार पाषा:२१ ___ गापा:-भरतक्षेत्र से विदेह क्षेत्र पर्यन्त और ऐरावत से विदेह पर्यन्त क्षेत्रों का विष्कम्भ क्रम से चौगुणा है जिनकी शलाकाओं का योग १०६ है । दोनों भागों का ग्रहण करने के लिए इन्हें दूना किया। अर्थात् ( १०६ ४ ३)-२१२ घालाकाएँ हुई । यही २१२ शलाकाएं एवंल रहित परिधि का भागहार हैं । ९२९ ।। विशेषार्ष:-भरतक्षेत्र से और ऐरावत क्षेत्र से विदेह पर्यन्त क्षेत्रों का विष्कम्म चौगुणा है अतः भरत को शलाका १, हैमवत की ४, हरिकी ११, विदेह को ( चौसठ ) ६४, ऐरावत की , हेरण्यवस की ४ और रम्यक की १६ । इन सबका योष (1+४+१६+६४+१-४+१६=१०६ हा। दो मेम सम्बन्धी दोनों भागों का ग्रहण करने के लिए इन्हें दूना करने पर ( १०६x२)-२१२ प्राप्त हए । यही ११२ शलाकाएं पवंत रहित परिधि का भापहार हैं । कैसे ? उसे कहते है-जबकि २१२ शलाकाओं का सम्पन्सर परिधि में पर्वत रहित क्षेत्र १४.२२६० योजन प्रमाण है. तब भरतादि क्षेत्रों को अपनी अपनी १,४, १६, ६४, १, ४, १६ शलाकाओं पर पर्वत रहित क्षेत्र कितना होगा ? इस प्रकार राशिफ करने पर भरत की एक शलाका की अपेक्षा पर्वत रहित क्षेत्र को २१२ से भाजित करने पर भरत का अभ्यन्तर विष्कम्भ ( १५५३३" ) = ६६१४३३३ योजन प्राप्त होता है । इसी विधान से भरत का मध्यम विष्कम्भ ( १३०८ )=१२५८१३१३ योजन और बाह्य विष्कम्भ ( ३२३११1)= १८५४७३५५ योजन प्राप्त होता है । इसी प्रकार हैमवत आदि क्षेत्रों का भी विष्कम्भ प्राप्त कर लेना चाहिए । अथवा-रत के अभ्यन्तर विष्कम्भ ६६१४१३६, मध्य वि० १२४१और बाहा विष्कम्भ १८५४७१६५ को चार से गुरिणत करने पर हैमवतका अभ्यन्तर वि० २६४५८२ योजन, मध्यम विष्कम्भ ५.३१४३५ योजन प्रौप बाय विष्कम्म ७४१६०२ योजन है । इसी को पुन: चार से गुणित करने पर हरिवई क्षेत्र का अभ्यन्तर विष्कम्भ ( २३४५८१३४४)१.५८३३३१४ योजन, मध्य विष्कम्भ ( ५०३२४३४४४४)=२०१२१८३२३ योजन और बाह्य विष्फम्भ ( ५४१९०२११४४ )२०६७६३३१० योजन प्रमाण प्राम होता है। इस उपयुक्त विष्कम्भ को चार से गुणित करने पर विदेह क्षेत्र का सम्यन्तर वि. ( ११८३३३५३४४ )=४२३३५४३१३ योजन, मध्यम विष्कंभ ( २०१२९८३३४४ ) - ८. योजन और बाह्य विष्कम्भ ( २६७६६x४)=११८७०३४३१६ योजन प्रमाण हमा । इसी प्रकार ऐरावत से विदेह पर्यन्त जात कर लेना चाहिए। पुष्करा दीप का कालोदक के समीप अभ्यन्तर सूची व्याम २९ साख योजन, व्यास के मध्य में मध्य सूची व्यास ३७ लाख पोजन और मानुषोत्तर पर्वत के निकट बाह्य सूची व्यास ४५ लाख योजन प्रमाण है। यभा [ रुपमा चित्र अगमे पृष्ठ पर देखिए ।

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