Book Title: Tirthankar Varddhaman
Author(s): Vidyanandmuni
Publisher: Veer Nirvan Granth Prakashan Samiti

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Page 12
________________ महावीर-वन्दना (पादाकुलक छन्द) "सन्मतिजिनपं सरसिजवदनं । संजनिताखिल कर्मकमथनं । पद्मसरोवरमध्यगतेन्द्रं । पावापुरि महावीर जिनेंद्रं ॥ वीरभवोदधिपारोत्तारं । मुक्तिश्रीवधुनगरविहारं ॥ विदिशकं तीर्थपवित्रं । जन्माभिषकृत निर्मलगात्रं ॥ वर्षमान नामाल्यविशालं। मान प्रमाण लक्षणवशतालम् ॥ शत्रुविमयनविकटभटवीरं । इष्टश्वर्यधुरीकृतदूरं ॥ कुंडलपुरि सिद्धार्य भूपाल । स्तत्पत्नी प्रियकारिणि बालं ॥ तत्कुलनलिन विकाशितहंसं । घातपुरोघातिकविध्वंसं ॥ ज्ञानदिवाकर लोकालोकं । निर्जितकारातिविशोकं ॥ बालत्वे संयममुपालितं । मोहमहानलमथनविनीतं ॥" -पं० आगाधर मूरि

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