Book Title: Tirthankar Varddhaman
Author(s): Vidyanandmuni
Publisher: Veer Nirvan Granth Prakashan Samiti

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Page 79
________________ अनेकान्त जीव और अजीव : अनन्तानन्त इस जगत् में अनन्तानन्त चेतन पदार्थ (जीव) हैं और अनन्तानन्त जड़ (अजीव) पदार्थ हैं, उनमें से प्रत्येक पदार्थ अनन्त गुणों (शक्तियों) तथा अनंत विशेषताओं का पुंज है । सूक्ष्म परमाणु (एटग) में भी अनंत शक्तियाँ निहित हैं। परमाणु की शक्ति से विशाल नगरों का विध्वंस क्षण-भर में किया जा सकता है और विशाल परिमाण में विद्युत् (विजली) उत्पन्न करने वाले विजलीघर का संचालन किया जा सकता है, भीमकाय जल-यान (पानी के जहाज, पनडुब्बी, नाव आदि) परमाण की शक्ति से चलाये जा सकते हैं । एक परमाणु में जब इस प्रकार की विध्वंस, निर्माण, संचालन, प्रेरण-रूप असीम शक्तियाँ तथा विशेषताएँ सिद्ध होती हैं, तब अन्य विशाल जड़-चेतन पदार्थों के गुणों और विशेषताओं का भी इससे अनुमान लगाया जा सकता है। अग्नि लकड़ी को जलाकर भस्म करती है, सोने के गलाकर शुद्ध करती है, रोटी को पकाती है, दाल को गलाती है, जल को भाप बनाती है, अशुद्ध धातु-पात्रों को शुद्ध करती है, शीत को दूर करती है, प्रकाश प्रदान करतो है, इत्यादि अनन्त प्रकार की विशेषताएँ अग्नि में विद्यमान है। ऐमी ही अनन्त शक्तियां, गुण या विशेषताएं जल, वायु तथा पार्थिव पदार्थों में विद्यमान हैं। ये भौतिक (पाथिव, जलीय, आग्नेय, वायव्य) पदार्थ उन परमाणुओं के सम्बद्ध समुदाय से बना करते हैं, जिनकी शक्ति परमाणु-वम, परमाणु-विजलीघर आदि के रूप में पहले वतलाई जा चुकी है।

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