Book Title: Tirthankar Varddhaman
Author(s): Vidyanandmuni
Publisher: Veer Nirvan Granth Prakashan Samiti

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Page 80
________________ अमूर्तिक जड़ पदार्थ पौगलिक (मटीरियल) जड़ पदार्थों के सिवाय अमूर्तिक (नॉनमटीरियल) जड़ पदार्थ और भी हैं, जिनको धर्म (ईथर) (क्रियाशील अनन्त पदार्थों की हलन-चलन रूप क्रिया में सहायक), अधर्म (स्थितिशील अनन्न पदार्थों की स्थिति में सहायक), आकाश (समस्त पदार्थों के लिए स्थान-दाता), काल (समस्त अनन्त पदार्थों के प्रतिक्षणवर्ती परिणमन में सहायक) नाम से कहा जाता है। उन अमूर्तिक जड़ पदार्थों में में प्रत्येक में भी परमाणु या भौतिक पदार्थों के समान अनन्त शक्तियाँ विद्यमान हैं, जिममे कि इस जगत् का ढाँचा सूक्ष्म रूप मे विविध परिणमन कर रहा है। म्थूल दृष्टि से विचार-शक्ति भले ही महसा उसे न जान सके, किन्तु मूक्ष्म विचार से तो उनको जाना ही जाता है । चेतन पदार्थ को अनन्तानन्तता जड़ पदार्थों के समान चेतन पदार्थ (जीव) भी संख्या में अनन्तानन्त हैं और प्रत्येक चेतन पदार्थ भी, वह चाहे छोटा प्रतीत हो या बड़ा, अनन्त शक्तियों का पुंज है । ज्ञान-दर्शन, सुख, वल, श्रद्धा, समता, क्षमता, मदुता आदि अनन्त प्रकार क गुण या शक्तियां तथा विशेषताएं प्रत्येक जीव में विद्यमान (मौजूद) है। अर्थात् जगत् का कोई भी पदार्थ क्यों न हो वह अनन्त गुणात्मक है। उन अनन्त गुणों का परिणमन भिन्न-भिन्न निमित्तों से विभिन्न प्रकार का हुआ करता है। उन विभिन्न विशेषताओं को जव विभिन्न दृष्टिकोणों (अपेक्षाओं) से जाना जाता है तव प्रत्येक पदार्थ अनेक रूप में प्रतीत होता है। ___ जल किसी प्यासे मनुष्य की प्यास बुझाकर उसे जीवन देता है और किसी प्यासे (हैजे के रोगी) को प्यास बुझाकर मार देता है, स्नान के रूप में स्वस्थ मनुष्य को जल स्फति और आनन्द प्रदान करता है; दाह ज्वर वाले मनुष्य को वही जल-स्नान सन्निपात लाकर मृत्यु

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