Book Title: Tirthankar Varddhaman
Author(s): Vidyanandmuni
Publisher: Veer Nirvan Granth Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 46
________________ ४६ बकरे जैसे मुखवाला संगमदेव जो वर्धमान की निर्भयता से प्रभावित होकर उन्हें कन्धे पर बैठाये नृत्य-विभोर है' विवाह का उपक्रम राजकुमार वर्द्धमान जन्म से ही सर्वांग सुन्दर थे, किन्तु जब उन्होंने कैशोर्य समाप्त करके यौवन में पदार्पण किया तव उनकी मुन्दरता उनके अंग-प्रत्यंग से और अधिक झाँकने लगी । उनके असाधारण ज्ञान, बल, पराक्रम, तेज, तथा यौवन की वार्ता प्रसिद्ध हो चुकी थी, यह प्रसंग सेनापति चामुण्डराय कृत' वर्षमान पुराणम्' (कन्नड़ भाषा) के पृष्ठ २६१ पर पाया है। प्रस्तुत चित्र यमुना, मथुरा से प्राप्त ८ इंची मति-शिलापट्ट का है । यह मधुरा पुरातत्त्व संग्रहालय, संग्रह सं. १११५ (हरीनाई गणेन) की कुषाण कालीन प्रतिमान्तर्गत है। क्रीडारत राजकुमार है-ईमान, बलधर, काकघर, पक्षधर ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100