Book Title: Tirthankar Varddhaman
Author(s): Vidyanandmuni
Publisher: Veer Nirvan Granth Prakashan Samiti

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Page 73
________________ तीर्थंकर महावीर और महात्मा बुद्ध वास्तव में तीर्थंकर महावीर और महात्मा बुद्ध समदेश, समकाल, एवं सम संस्कृति के दो क्षत्रिय राजकुमार हुए, जिन्होंने आत्मधर्म और लोकधर्म का २५०० वर्ष पूर्व प्रसार किया। ___इन दोनों आत्माओं के जीवन, सिद्धान्त, धर्म आदि का अध्ययन करने में निम्नलिखित तुलनात्मक तथ्य-तालिका वहुत उपयोगी सिद्ध होगी आत्मधर्म प्रकाशक महावीर लोकधर्म-प्रचारक बुद्ध १. नाम वर्द्धमान बुद्ध २. पिता मिद्धार्थ शुद्धोधन ३. माता त्रिशला महामाया ४. गोत्र कश्यप ग्राम कुण्डग्राम (वैशाली) कपिलवस्तु (लुम्बिनी) ६. वंश जात शाक्य ७. जाति क्षत्रिय क्षत्रिय ८. जन्म ई. पू. ५८२ ९. धर्म अर्हन्त १०. ज्ञान-प्राप्ति-स्थान ऋजुकलातट गया ११. निर्वाण ई. पू. ५२७ १२. निर्वाण-स्थान पावापुरी कुशीनार १३. आयुष्य ७० वर्ष ८० वर्ष १४. व्रत पंच महाव्रत पंचशील १५. मिद्धान्त स्याद्वाद क्षणिकवाद कश्यप आहेत* महान्मा बुद्ध ने कहा था-भिक्षुनो ! मन एक प्राचीन गह देखी है, एकमा प्राचीन मार्ग जो कि प्राचीनकाल के अगहनी द्वारा प्राचरण किया गया था। मैं उमी पर चला और चलते हुए. मुझे कई नलों का रहम्य मिला। भिक्षुग्री,प्राचीनकाल में जो भी प्रहन्न नथा बुद्ध हुए थे उनके भी मे ही दो मुख्य अनुयायी थे, जैम मेरे अनुयायी मारिगुत्र मागलायन थे।' (मंयु, १६८) "जैन साधना जहां एक ओर बोटमाधना का उद्गम है, वहाँ दूसरी ओर वह णवमार्ग का भी प्रादित्रोत है।"--संस्कृति के चार प्रध्याय, गमधार्गमिह 'दिनकर'; 2. ४३८.

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