Book Title: Tirthankar Varddhaman
Author(s): Vidyanandmuni
Publisher: Veer Nirvan Granth Prakashan Samiti

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Page 34
________________ "वैशाली के ठीक बाहर कुण्डग्राम नामक नगर था। संभवतः वामु कुण्ड के आधुनिक ग्राम के रूप में वह जीवित है और यहीं पर सिद्धार्थ नामक एक सम्पन्न राजा रहते थे जो ज्ञातु नामक एक क्षत्रिय कुल के मुखिया थे। यही सिद्धार्थ वईमान (महावीर) के पिता थे।" एक बौद्ध अनुश्रुति के अनुसार वैशाली नगर में तीन भाग थे"वैशाली के तीन भाग थे। पहिले भाग में ७००० सोने के गुम्बद वाले मकान, मध्य में १४००० चाँदी के गुम्वददार मकान और अंतिम भाग में २१००० ताँब के गुम्बद वाले मकान थे। इन मकानों में उच्च, मध्यम और निम्नवर्ग के लोग अपनी-अपनी स्थिति के अनुसार रहते थे" जैनों के अन्तिम तीर्थकर जैनधर्म-ग्रन्थों में "वैशालीय" वैशाली के निवामी कहे जाते हैं और यह भी कहा जाता है कि उनका जन्मम्थान विदेह कुण्डग्राम में था । विदेह और तिरहुत दोनों का प्रयोग प्राचीन लेखकों द्वारा पर्यायवाचो अर्थों में होता है।" १. डा. जाल काष्टियर पोएच. डी. उपसाला विश्वविद्यालय, केमिन हिस्ट्री प्रॉफ इंडिया, जिल्द १, प. १५७. २. रॉक हिल (लाइफ प्रॉफ युग, पृ. ६२)। ३. ग. टी. लांश, मायानॉजिकल सर्वे पॉफ इंडिया 'बमाड़ की चुदाई शोषक, पृ. ६२.

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