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(पटना, पुरातत्त्व-संग्रहालय. प्राप्त १९१२ ई.) . .. किन्तु एक दूसरा प्रमाण जो सन्देह रहित है, मामने आ जाता है। वह पटना के लोहानीपुर मुहल्ले से प्राप्त एक नग्न कायोत्मर्ग मति है। उस पर मौर्यकालीन भोप या चमक है और श्री काशीप्रसाद जायसवाल से लेकर आज तक के सभी विद्वानों ने उसे तीर्यकर-प्रतिमा माना है। उस दिशा में वह मति अब तक की उपलब्ध सभी बौद्ध तथा बाह्मण धर्म-मम्बन्धी मतियों से प्राचीन ठहरती है। कलिंगाधिपति खारवेल के हाथीगम्फ शिलालेख से भी ज्ञात होता है कि कुमारी पर्वत पर जिन प्रतिमा का पूजन होता था। इन संकेतों से भी इंगित होता है कि जैनधर्म की यह ऐतिहासिक परम्परा और मनश्रुति अत्यन्त प्राचीन थी।
-डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल