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यह अभिलेख ई. पू. ४४३ का है*
" मिणाय' नामक ग्राम जो अजमेर से ३२ मील दूर है. पं. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा ( अजमेर के पुरातत्त्वान्वेषी) ने एक किसान से एक पत्थर प्राप्त किया जिस पर वह तम्बाकू कूटा करता था । पत्थर पर अंकित कुछ अक्षर थे जिसे उन्होंने पढ़ा, अक्षर प्राचीन लिपि में थे, वे अक्षर थे
Courte
'विराय भगवताय चतुरमीतिवस कार्य सालामालिनिय रंनि विट माज्झमिक
।'
अभिप्राय - महावीर भगवान से ८४ वर्ष पीछे शालामालिनी नाम के राजा ने माज्झमिका नामक नगरी में, जो कि पहले मेवाड़ की राजधानी थी- किसी वात की स्मृति के लिए यह लेख लिखवाया था । यह शिलालेख बीर के निर्वाण के ८४ वर्ष बाद लिखाया गया है ।
इससे यह भी स्पष्ट होता है कि पहले वीर निर्वाण संवत् प्रचलित था और लेखादि में उसका उपयोग किया जाता था । उक्त शिलालेख अजमेर म्यूजियम में सुरक्षित है।"
यह अभिलेख सेट भागचन्द सोनी के सौजन्य से प्राप्त हुधा ।