Book Title: Tattvarthshlokavartikalankar Part 7
Author(s): Vidyanandacharya, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Vardhaman Parshwanath Shastri
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समारोप
. स्व० मान्य श्री पं. वर्धमान पार्श्वनाथ शास्त्री जी की धर्मपत्नी श्रीमती मदनमंजरीदेवी शास्त्री एवं उनके सुपुत्र श्री सुभाष शास्त्री एम्. ए. तथा उनकी धर्मपत्नो श्रीमती सुजाता शास्त्री एम्. ए. श्लोकवातिकाङ्कार के इस सातवे खंडके प्रकाशनकार्य में पूर्ण श्रेयोभागी हैं। ये सुयोग्य दम्पत्ती कार्यतत्पर, धर्मसलग्न-धर्भज्ञ एवं बडे विनयशील हैं । स्वर्गवासी श्री शास्त्रीजीके जीवनकी जो सदिच्छा थी, इस ग्रंथ प्रकाशन में जो सदुद्देश्य था, बह इन आदर्श दम्पत्तियोंकी लगनसे तथा कर्तव्य-परता से आज सफल हो रहा है । मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि इसी प्रकार आगे भी इनके द्वारा धार्मिक सेवाएं समाजको प्राप्त हो, और स्वर्गीय शास्त्रीजीका नाम समाजमें चिरस्थायी रहे ।
__“प्राक्कथन" लिखकर इस पुण्य कार्य में भाग प्राप्त करनेका जो सदवकाश मिला है, इसके लिए मैं इन दम्पत्तियोंका बहुत बहुत आभारी हं । मेरे इस प्राक्कथन के हिंदी अनुवादक'आस्थानविद्वान् ' ' हिंदी रत्न' सिद्धांत शास्त्री' 'सं. साहित्यशिरोमणी' पं. शिशुपाल पावनाथ शास्त्री का मैं ऋणी हूं। इस कथानके साथ प्राक्कथन' से लेखनी विरमतो है ।
प्रोफेसर और अध्यक्ष स्नातकोत्तर जैनालाजी, प्राकृत विभाग, मानसगंगोत्री
मैसूर-६
आपका विश्वस्त - डॉ० एन. डी. वसंतराज एम. ए. पी. एच, डी.
१६-१०-८३