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१० । तट दो : प्रवाह एक
एक आदमी गाली देता है। दूसरी ओर सामने वाला देखता है ऐसाक्यों? उसे भी क्रोध आना चाहिए। उत्तर मिलता है-पीटता तो नहीं। वास्तव में उसका जीवन के प्रति दष्टिकोण है। एक बार के क्रोध से मनुष्य का रक्त इतना विषाक्त होता है कि यदि वह दूसरे क्षुद्र जन्तु को दिया जाए तो वह मर जाए। जीवन के प्रति मनुष्य का स्थिर और निश्चित दृष्टिकोण होना चाहिए । धार्मिक के लिए तो और भी आवश्यक है । जीवन दर्शन के प्रति और दर्शन जीवन के प्रति सजग होना चाहिए और हमें सजगता के साथ समझने तथा देखने का प्रयत्न करना चाहिए ।
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