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योग । ६३
३. मणिपूर
४. अनाहत
५. विशुद्ध
६. आज्ञा
७. सहस्रार
१. मूल
२. स्वाधिष्ठान :
३. मणिपूर
४. अनाहत ५. विशुद्ध
६. आज्ञा
७. सहस्रार
हजार
चक्र-जागरण के फल इस प्रकार माने जाते हैं :
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: मुमुक्षु भाव
वासना-नाश'
दस
बारह
सोलह
दो
: आत्मलय
: आशा-नाश
: माया-नाश
:
4.
नाभि
हृदय
कण्ठ
आत्म-ज्ञान आत्म-साक्षात्कार
भूमध्य
मस्तिष्क
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