Book Title: Sutra Samvedana Part 04
Author(s): Prashamitashreeji
Publisher: Sanmarg Prakashan

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Page 18
________________ १०७ १०७ १५२ __११० १५७ १५७ ११. दूसरा व्रत १०४ |१५. तीन गुणव्रतों के अतिचारों का गाथा-११ बीए अणुव्वयम्मी० १०४ प्रतिक्रमण १४६ * दूसरे व्रत का स्वरूप * छठवाँ व्रत १४६ * व्रतधारी की भाषा गाथा-१९ गमणस्स उ परिमाणे० १४६ * दूसरे व्रत की प्रतिज्ञा * प्रथम गुणव्रत का स्वरूप १४७ * बड़े झूठ * प्रथम गुणव्रत के अतिचार १४८ गाथा-१२ सहसा-रहस्सदारे० | १६. सातवाँ व्रत * दूसरे व्रत के पांच अतिचार गाथा-२० मज्जम्मि अ मंसम्मि अ० १५२ * चित्तवृत्ति का संस्करण ११४ * दूसरे गुणव्रत का स्वरूप १५३ १२. तीसरा व्रत * भोग-उपभोग की दुःखकारिता १५४ गाथा-१३ तइए अणुव्वयम्मी० * व्रतधारी के आचार * तीसरे व्रत का स्वरूप * २२ अभक्ष्य * चार प्रकार का अदत्त ११७ * ३२ अनंतकाय १५८ गाथा-१४ तेनाहड-प्पओगे० * अविरति के विपुल पापों से * तीसरे व्रत के अतिचार बचने लिए चौदह नियम १६१ * चित्तवृत्ति का संस्करण * चित्तवृत्ति का संस्करण १६३ १३. चौथा व्रत गाथा-२१ सच्चित्ते पडिबद्धे० १६५ गाथा-१५ चउत्थे अणुब्बयम्मी० गाथा-२२-२३ इंगाली-वण-साडी० १६८ * ब्रह्मचर्य का स्वरूप * वाणिज्य सम्बंधी अतिचार १६९ * ब्रह्मचर्य पालन का फल एवं * कर्मादान के धंधे १६९ अब्रह्म से नुकसान १२९ * चित्तवृत्ति का संस्करण १७३ गाथा-१६ अपरिग्गहिआ-इत्तर० १३० १७. आठवाँ व्रत १७४ * चतुर्थ व्रत के अतिचार १३० गाथा-२४ सत्थग्गि-मुसल-जंतग० १७४ * चित्तवृत्ति का संस्करण * तीसरे गुणव्रत का स्वरूप १७५ १४. पाँचवाँ व्रत * चार प्रकार का अनर्थदंड १७६ गाथा-१७ इत्तो अणुव्वए पंचमम्मि० १३६ * आर्तध्यान का स्वरूप १७७ * पाँचवे व्रत का स्वरूप १३७ * रौद्रध्यान का स्वरूप १७८ * व्रत पालन का फल १४० गाथा-२५ ण्हाणुब्बट्टण-वनग० १८२ गाथा-१८ धण-धन-खित्त-वत्थू० १४१ गाथा-२६ कंदप्पे कुक्कुइए० १८७ * पाँचवे व्रत के अतिचार * तीसरे गुणव्रत संबंधी अतिचार १८८ १३४ १३६

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