Book Title: Sudharm Gaccha Pariksha
Author(s): Bramharshi Muni
Publisher: Ravji Desar

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Page 8
________________ - या पुस्तक उपावतां मारी स्वरूप मतिना योगे जे कंश्थकर कानो मात्रा मीमी वाअर्थविन्रमताना लीधे रही गयेल होय तो ते विषे सानो इंसवत् गुणग्राही थ दोषने सुधारी वांचशे के जेथी अनंत लाल पशे. कारण के "संत्यज्य सकलान् दोषान् गुणान् गृहन्ति साधवः" तपारिवाचकवर्गनी समक दोष संबंधी त्रि. विधे मिथ्यापुष्कृत द. अप्लम् विस्तरेण शुनमस्तु! सं. १९६७ माघ पूर्णिमा } प्रकाशक. - - wwwwwwwwwww w w ~~ ~~~vvv ॥ शार्दूलविक्रीडितवृत्तम् ।। . श्रीसिद्धार्थनरें विश्रुतकुल-व्योमप्रसादयः सबोधांशुनिरस्तऽस्तरमहा-मोहान्धकारस्थितिः ॥ हप्ताशेषकुवादिकोशिककुल प्रीतिप्रणोदक्षमो जीयादस्खलितप्रतापतरणिः श्रीवर्धमानो जिनः॥१॥ है शान्तिः ॥३॥ mmmmmmmmmmmmmmmmmmmcorrrrrrrrrrrrrr मा नपरन काव्य ग्रन्थना अंतमा ले, परंतु नगपवामां कांक अमुचता थइ जवाथी अहिं मोटा अक्षरमां मुदित करेल . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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