Book Title: Sudharm Gaccha Pariksha
Author(s): Bramharshi Muni
Publisher: Ravji Desar

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Page 27
________________ श्री सुधर्मगड परीक्षा. (१९) राते मासे पुग्ने जति वासखेत्तं-ण-खन्नति तो-रोक हेवाधि-पक्रो-सवेयवं, तं-पुणिमाए पंवमीए एवमादि पवेसु पङोसवेयवं, पो-अपवेसु. सीसोपुबत्ति, श्याणिं कहं चमबीए अपवे पद्योसविधति? आयरित लणति, कारणिया चनही अद्यकालगया रिएण पवत्तिया. कहं जमतेकारणं ? कालगायरिज विहरंतो उधेणिंगतो, तबवासावासंतरंगिन, तवणगरीए बलमित्तोराया, तस्सकणिोनाया, नाणु मित्तो अवराया, तेसिं लगिणीनाणुसिरीणाम, तस्सपुत्तो बलनाणुणाम, सोयपगतिनदविणीययाए साहूपधुवासति आयरेहिं में धम्मोकहितो, पडिबुछो, पवावितोय. तेहिय बलमित्तनाणुमित्तेहिं कालगद्यो पद्योसविते णिविसतो कतो केति आयरिया नणंति, जहा-बलमित्त जाणु मित्ता कालग पारियाण नागेणियानवंति, मानलेत्तिका महंतं आयरं करेंति अन. जाणादियं, तं च पुरोहियस्स अप्पत्तियं, लणति Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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