Book Title: Sudharm Gaccha Pariksha
Author(s): Bramharshi Muni
Publisher: Ravji Desar

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Page 32
________________ (४) श्री सुधर्मगछ परीक्षा. विहार करी पश्गणनगर चाल्या. ते पश्चगणनगरमां पोताना संघाहाना जे साधु हता तेने पण संदेशो कहे. वराव्यो जे हुँ श्राद्बु त्यांसुधी तमे रदेवामाटे नक्की करशो नहि. संदेशानुं कारण एज के एकेक राजाना संबंभयो (वखो तीसरं पेदाथवाना संनवथी)दरकतपडे तो बीजा स्थानांतर अशकाय. ते नगरनो राजा जे सत. वाहन तेणे सारं मान थाप्यु, ने ते पश्चगणनगरना सा. धुये पण.श्रावकारलाथे नगरमा प्रवेश कराव्यो,अने ते. असमय कालकार्ये कयु के जात्रा शुद पांचमनाज श्रीपर्व के, ने ते वात पश्गणनगरना साधुये कबूल करी. ते प्रसंगे राजाये कडं के ते दिवस तो महारे इंजयाग थवानो तेयी साधुचैत्यनु आराधन करी शकाशे नहीं, माटे बहनो दिवस राखो. श्राचार्ये कडं के पांचमनुं श्री पर्व उल्लंघाय नहीं. त्यारे राजाये कछु, चोथ करो. आवा कारणथी राजाना आग्रहवडे चोथ करी. परंतु चलावाने माटे करी नथी एम स्पष्टरीते चूर्णिकार कही बतावे ने थने जे कोइलखे के चोथ आर्यकालकमहाराजनी थाझाथी करिये ज्येि, तो कालकसूरिये नगरमा प्रवेश करताज केम कथु के नावाशुद पांचमनां पजुसण , ने साधुये पण तेवात मान्य केमकरी. आबाबतमां चूर्णिकार Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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