Book Title: Sudharm Gaccha Pariksha
Author(s): Bramharshi Muni
Publisher: Ravji Desar
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श्री सुधर्मगड परीक्षा (७५) क० ए॥ तीन प्रदक्षिणा देश वांदस्यु, हियमे श्रानंद प्रोजी ॥ श्रवणे सुपस्युंजी वाणी तसु तणी, चतुर करम दल चूरोजी ॥क० १०॥ करजोडीने वीनवस्यु वली, स्वामी सरणे राखोजी। हियमे सालेरे पापजिके किया, आलोयसुं तुम साखोजी ।। क. ११ ॥ तप पमिवजस्युंजी निरतो निरमलो, छरित करस्यु रोजी ॥ मनह मनोरथ सहुये पूरस्यु, इम नणे श्री विजय देव सूरोजी ॥ क० १५ ॥
॥अय मुनिगुण सद्याय ॥ ॥लेखरे उतारो राजा भरथरी.-ए राग ॥ पंचमहाव्रत जे धरे । टाले पाप अढारोरे ॥ विविध परिसह जे सहे॥ नव कल्प करे बिहारोरे ॥ एहवा मुनिवर वंदिये। जिम लहिये नवनो पारोरे । केसी गुरु परदेशी जिम ॥ जव पमता दिये श्राधारोरे ॥ श्रांकणी ॥ एहवा० ॥१॥बारे नेदे तप तपे ॥ पाले पंचाचारोरे ॥ निंदक पूजक सम गिणे ॥ जोस न कहे लिगारोरे ॥ एहवा० ॥२॥ को दे वासले ॥ चंदन को लगावेरे ॥ बिडुपर समता मन धरे, जावना बारे नावेरे ॥ एहवा० ३ ॥ चालीस बिहु करी बागला, दोष तजि ले थाहारोर ।। संविनाग मुनिने करे ।
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