Book Title: Sudharm Gaccha Pariksha
Author(s): Bramharshi Muni
Publisher: Ravji Desar

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Page 82
________________ (७) श्री सुधर्मगड परीक्षा सीलोजी, च्यार कषाय न सेवे संयती, लक्षण सहुये सलीलोजी ॥१॥ कहिये मिसस्येरे मुनिवर एहवा, जसु मुख पंकज पेखोजी ॥ तनु रोमंचीरे हियमो न. लसे, विलसे नयण विशेखोजी॥ कण ॥ पंचमहा. व्रत पूरा जे परे, पाले पंच श्राचारोजी ॥ सुमती गु. पतिनीरे बहुली खप करे, गुण उत्तीसे नंमारोजी ॥ का ३॥ माश शियालेजी बहुलो सी पमे, वाय वाप सीतल वायोजी ॥ तपकर पोडेजी सुनमत सेजमी, संयम सरिखो नावोजी ॥क. ४॥ ग्रीषम कालेजी तरुणो रवि तपे, जीव सवि वंजे गंदोजी ॥ सूरज सामीजी ले थातापना, उंची कर बे बांदोजी॥ क०५ ॥ वरषाकालेजी मेला कापमा, जिरमिर वरसे निरोजी ॥ मांस मसादिक परिसह थति घणा, सहे ते साधु सधीरोजी ॥क०६॥ समकित मानसरोवर फिलता, चारित्र वनसंग वासोजी ॥ तप जप संजम स्वामि निरमला, पाले पाले मनने उद्धासाजी ॥क० ७ ॥ बाविस परिसहारे विषमा जे सहे, महीयल करे विहा. रोजी ॥ खिमाखमग लेश मुनिवर कर धरे, उपसम रस जमारोजी ॥ क० ॥ मधुकरनी परें मुनिवर गौचरी, विहरे विहरे सुजतो आहारोजी ॥ ते पण निरस ने वली, थोमलो दीयें दीयें देह.आधारोजी॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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