Book Title: Sudharm Gaccha Pariksha
Author(s): Bramharshi Muni
Publisher: Ravji Desar

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Page 43
________________ A.SA-PAAN-AAAAAAA श्री सुधर्मगड परीक्षा. (३५) थिवित्यर्थः ॥ एवंनूतेषु धर्मदिवसेषु सतिश येन प्रतिपूर्णायः पोषधोक्तानियह विशेषस्त; -प्रतिपूर्णमाहारशरीरसंस्कारब्रह्मचर्याव्यापाररूपं पौषधमनुपालयन्संपूर्ण श्रावकधर्ममनुचरति. नावार्थ:-चउदश, आठम, पुनम पटले चोमासानी त्रण पुनम (थाषाढीपुनम, कार्तिकपुनम, फागुण नी पुनम)एपर्व विगेरे पुएयतिथीयोने विषे,(इत्यादिक धर्मना दिवसोने विषे) अतिशय मनोहर अने संपूर्ण एवोजे पोषधवत थनिग्रह विशेष, तेने संपूर्णरीते पठले थाहारनो त्याग, अने शरीरसंस्कारनों त्याग, ब्रह्मचर्यपालन, व्यापारत्यागरूप पोषधवतने पालन करता संपूर्ण श्रानकधर्मने याचरण करे . एवो रोते चोमासी त्रण पुनमनी सूत्रकृतांग जगवती, उत्तराध्ययन थादि सूत्रोन। वृत्तिमा बतावेली ने तेने मुको घने चौदशने दिवसे चोमासी करवानुं कर्यु. एवी रीते त्रण पर्वतिया चोमासीनी फेरवी. वरस नवसें चोराणुं हुए, कालकसूरी कालगत हुए; . धागे चालचलावी राय, जेण ऋषिपंचमी नवोलोपाया इम फेरव्या पर्व शासता, अनाही दोसे लोपता; पांचम पुनित पारंजकरे, तो कित ते जिन थानाधराज्य Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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