Book Title: Sudharm Gaccha Pariksha
Author(s): Bramharshi Muni
Publisher: Ravji Desar

View full book text
Previous | Next

Page 70
________________ (६२) श्री सुधर्मगड परीक्षा. शिष्य जमाली। तिहनें नवि लागो उपदेश । कालिगसूरीयो कपिलादासी। गोसालो पामशे कलेस ॥ श्री॥ ॥१६॥ विष्णुकुमारनां वचन सुणीने । नमुचि न मानी काई सीख । मारणहार उदाई नृपनो । बार वरस सगि पाली दीख ॥ श्री० ॥१७॥ शिष्य पांचसे केरो नायक। अंगारमर्दक नामें सूरि । श्रावक परख्यो अजव्य दयाबिणु । निर्गुण जाणी कीधो पूरी ॥श्री० ॥१॥ संवेगी सावद्याचारज । सूत्र विरुष्क तिणें कह्यो विचार । नागिल बंधव बहु समजाव्यो । सुमतिए कुगुरु न तज्या खगार ॥ श्री० ॥१॥ शीलसनाइ रिषिये प्रतिबोधी। रूषीये नवि काढ्यो साल । वरस पंचास तरे तप खस्क. णा । तसु फल म यो एके बाल ॥ श्री० ॥॥ ईसरने मन धर्म न जेद्यो । रजा महासतीने थयो रोग । फासू जलथी काया विणसे । श्म नामें घायां बहु लोग ॥ श्री० ॥ १॥ पालककुमर नेमि ज वंद्या। कंडरीक पायो चारित्र । कृष्ण साथै वीर जश्वद्या। फखें फेर थति थयो विचित्र ॥ श्री० ॥ २५ ॥ संगति एहने हुँति रूडी। पुण नवि प्रीव्यो सार विचार । कर्म निकाचित जेहने पोते। ते प्रतिबोध न लहे लगार ॥ श्री-॥२३॥ दृष्टिरोंगें नर जे हुए रातो। जे हुई. दोषी अति घण Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94