Book Title: Sudharm Gaccha Pariksha
Author(s): Bramharshi Muni
Publisher: Ravji Desar

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Page 41
________________ श्री सुधर्मगल परीक्षा ( ३३ ) तथा जेनी निश्राये रह्या दोय तेजश्रीने पूढया बिना के तेन धीना आदेश (हुकम - श्राज्ञा ) विना कंपण काम कर कल्पे नदीं. केमके याचार्य महाराज ते संबंधी तपास करनार अथवा तेमनुं दित चाहनार होवाथी जेम आप कल्याण थाय तेम करवाने समर्थ बे, माटेज तेश्रीने पूर्वी, ते श्रीनी श्राज्ञा मेळवी दरेक क्रिया-कार्य करवाथीज लाज बे. जो तेम करवामां आवे तो ते कार्य करनार दशविधिसाधु चक्रवाल समाचारीनो पण आराधक थाय बे. 'सकारणं'कदेतां साधुने सुखे संयमयात्रानी आराधना तथा समाधिना लायक तथाविध योग्य क्षेत्र नः मले तो अपवादे आषाढी पुनम वीत्यावाद पण बीजाक्षेत्र ने माटे तपास करतां पांचपांच दिवसनी वृद्धि कहे. यावत् पर्व दिवस जाऊवाशुदी पांच में वस्ती न मले तो जाम नी वे रहेवुं, पण एक डगलुं आगल जरखं नहीं. ए विगेरे घणां कारण बताव्या बे, तेनुं नाम सकारण, पुनः 'ससुत्तं सत्थं सजयं' कहेतां सूत्रसहित, अर्थसहित, उजय सहित, 'सवागरणं' - कहेतां पूवेला अथवा अप पूवेला पदार्थनी व्याख्या तेथे कर सहितः Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat · 4 www.umaragyanbhandar.com

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