Book Title: Sudharm Gaccha Pariksha
Author(s): Bramharshi Muni
Publisher: Ravji Desar

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Page 45
________________ श्री सुधर्मगड परीक्षा. (३७) महानिशीथ न ते सदहे, श्रावकने चरवलु नवि कहे;; दिनप्रती देवीनी थुश् चार, नघे दशी प्रखंब विचार गए। युगप्रधानकालिकगुरुतणो, काउसग्गकरेचिहुंखोगस्सतणो अंतर पडिक्कमणे पुण जोय, एवाबोल घणातिहांहोय ।।३ न करे बोल घणा जे इसा, युगप्रधान तिणे मान्या कीसा; एहमांहे जेह काढे खोड, उन्नय ब्रष्ट मांहि ते जोड ॥ए। नविमानी तेणेजिनवराण, कालिकसूरि कर्याचप्रमाण, तोतिहांआराधकपणुं किश्यु, पख्याप्रवाहनजाणेश्श्युं एवं के कहे कह्यो श्री महावीर, कालिकसूरी होशे गंजीर, ते चोथे करशे ए पर्व, ए पण कल्पित उत्तर सर्व ॥ए॥ +-सूत्र न कालिकगुरुर्नु नाम, तो किम कहीए पजुसणगम, जाण इशे ते जोशे सूत्र, पाप नीरु टालशे उसूत्र |एsir पाट सत्तावीशमाहे नहीं, कालिकसूरी विचारो सही; जावमहरातणा गछटाल, पाट नाममाहे म निहाल ।ए पण जे लोक कदाग्रह नयों, लोधा बोल कहे अनुसयों; . होशे विधेकी ते जाणशे, पोतानो मत नवि ताणशे॥एका (जनजाषित श्रागम अनुसार, करे थापना सूत्र विचार;' - तेहतणा सवि सरशे काज, लेशे अविचलपदनुं राज॥१०० कटपे थरहुए पण जोय, दश पंचक पण रहे संवष्ठर पंचमी सही, तेतो श्राघु पालुं नहि ॥१०॥ काल विशेषे घटता श्रया, पूर्व अपमात्र का रह्या; Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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