Book Title: Sudharm Gaccha Pariksha
Author(s): Bramharshi Muni
Publisher: Ravji Desar

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Page 44
________________ (६) श्री सुधर्मगल परीक्षा. maumar.. सूरियाण जिनथाझा पाय, बलवंते किमहिनवि थाय; जिनधाझाजीहांलोपाय, विनय(मूळ)धर्मतिहाथीजाय, , यतः-आणा जिणंदाणं । नहु बलियत्त राहु आयरियाणा ॥ जिन आणा परिनो। "एवंगछो अविणीन्य ॥१॥ नावार्थ:-जिनेश्वर परमात्मानी श्राणाथी खरेखर श्राचार्यनी थाणा बलवान थर शके नहि, अने जिने. श्वरनी आणाथी परिघ्रष्ट (विरुक) थएला एवा पुरु'षोनो जे गछ ते पण थविनीत पुरुषोनु टोझुं गणाय, पण गड गणाय नहि. युगप्रधान कालिकसूरिने, कहे तेइ न विचारे मने; कालिकसूरिकवणगबथयो,कवणाचारतिणेथापीयो। सासु गछ नावडहरो सही, पञ्चखाण वंदण तेणे नहि; पहेलो पमिक्कमे रियावही, सामायक विधि पछे कही। पाखी चडमासो चनदशे, करे पजुसण चनथे रसें; करे प्रतिष्ठा जेणीवार, मांडे नांदि विशेष तेवारणा पहेरे कंकण ने मुडी, बाजुबंध बहिरखी जडी; *मान करे बंधे नवग्रही, सदश जुअतु पहेरे सही ।ए करे विलेपण रुडा गात्र, संघ संघाते करे जलजात्र; मालारोपण ने उपधान, ते तो माने दोष निदान॥१॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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