Book Title: Sudharm Gaccha Pariksha
Author(s): Bramharshi Muni
Publisher: Ravji Desar

View full book text
Previous | Next

Page 42
________________ (8) श्री सुधर्मगछ परीक्षा. 'मुजो जुजोति' कहेतां वारंवार, 'नवदंसेइत्तिबेमि'-कहेता श्रोताजनना हितनेमाटे उपदेशकरे जे, तेमज जे प्रमाणे श्री तीर्थकरदेवे प्रण अधिकार गणधर जणी (प्रत्ये) प्रकाश्या, अने ते श्री गणपरमहाराजे शिष्य प्रशिष्यने जे मुजब प्ररू. . प्या तेज मुजब हुँ पण चतुर्विधसंघ समक्ष ते श्रण अधिकारज संनसावु वं. मतलब एज के था परूपणा गुरुपरंपराधमे परंपरागमनी रीति प्रमाणे में परूपणा करी पण में मारी मतिकल्प नाची फ्रूपणा करीनधी. . प्रम-महावीरस्वामी पोतानुं चरित्र पोते कहीशके ? - उत्तर ६-हा, कही शके. जो न कहे तो बीजा केम जाणी शके, किंतु पोताना मुखश्री पोतानी प्रशंसा न करे पण चरित्र तो कही शकेज. तो पजुसण चोथे कयु, राजातणुं वचन श्रादयु; पचाससीत्तरदिनराखवा,चनमासीचनदादनव्या तिणकारण चौमासी फेरवी, बन्दसनेदिन अरहिवी; पर्वतिथि एम भरहीकीध, परंपरागम नहु मन खीध ।३ .. यतः-तथा चतुर्दश्यष्टम्यादिषु तिथिषूपदिष्टा सुतथा पौर्णमासोसु च तिसृष्वपि चतुर्मासकति. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94