Book Title: Sudharm Gaccha Pariksha
Author(s): Bramharshi Muni
Publisher: Ravji Desar
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श्री सुधर्मगड परीक्षा. (३९) परासीअधिक सोलसे, वरसे अंचसगडमति चलें।११२ घणा बोलना अंतर कर्या, ते पण घणे जणे थादर्या : रजोहरण बने मुहपत्ति, श्रावकने नवि मापे बति।।११३॥ श्रावकने पडिकलण न कहे, श्रावश्यक नवि सहदे . पाखीाउमगणत्रीकरे, म अंतरअतिषणाचरे ॥११॥ ... यतः बारह चनदोत्तरये । अंचलिया तहय ..
भागमा जणिया ॥ इत्यादि. ... जावार्थ:-विक्रम संवत १५१५ वर्षे थंचखगड तथा थागमिगह थयो, इत्यादि. चरस सत्तरसें बीते नगम, श्रागमगड धराव्यो नाम, घण युगणत्रीए पर्व, पडिक्कमणे थंतर सर्व ॥११॥ पोसहमांहि अंतर घणो, अधिकमासे पासण तणो; योगविधि नांदि फेर घणा, मन विमासजुर्ग तेहतणा।।११६. धीरथकी अवधारो मने, वरस सतरसे पंचावने; चित्रावालयकी नीकल्या, तपागल नामे सांजस्या॥११॥ - यतः-बारस. पंचासीए । बंडिय निय निय गुरूण मजायं ॥ विजापुर नयरंमिय। तवा मयं . देवनदान॥१॥
भावार्थ:-विक्रम संवत् घारसें पंचासीमा (१२ण्य)
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