Book Title: Sudharm Gaccha Pariksha
Author(s): Bramharshi Muni
Publisher: Ravji Desar

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Page 33
________________ श्री सुधर्मगड परीक्षा (२५) स्पष्टरीते सखे ने के, चोथनी वायतनो श्रादेश राजाए कराव्यो , पण कालकाचार्यमहाराजनो थादेश तो चूर्णिकारे पांचमनोज बस्यो . चूर्णिकारे कार्तिकपुनमनी चोमासी कर्याबाद एकमना दिवसे विहार करवानीथाशा थापेली . या उपरथी सार समजवानो के चूर्णिकार पोते चोथने अपर्व कहे डे, ने अपर्वमा पजुसण कराय नहि, अने करे तो प्रायश्चित कधू ने. माटे पर्वमाज श्रीपर्व कराय. एम खुल्ली रीते निशीथसूत्र १, निशीथचूर्णि ५, कम्पनियुक्ति तथा समवायांग टीका ३, कल्पचूर्णि ४, दशाश्रुतस्कंध.५, तथा तेनी चूणि ६, तथा पंचासक हरिजप्रसूरिकृत तेनी टीका . विगेरेमां पर्वना दिवसे पजुसरा पांचमनांज कहां ले. वली चोथ कस्यापली पांचम न थाय, एम जे कदे ते खोटुं जे. कारण के जो फरी न कराती होय तो, पंचांगावा. लाये मनाई केम करी नहि? अने जे एक दिवत्त वधे एवी कुयुक्ति करो वमल (चम)मां नाखेडे, ते पुरुषे अक्षर पंचांगीना बताडवा जोइए. हवेथी चोथज करवी थने पांचम नज करवी, एवा अक्षर को स्थ डेज नहि, थने टीकाळ पण सर्वमान्य होय तेज सत्य जाणवी. सुत्तं-जेनिख पङोसवणाए ण पजोमवेति Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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