Book Title: Sudharm Gaccha Pariksha
Author(s): Bramharshi Muni
Publisher: Ravji Desar

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Page 34
________________ (३६) श्री सुधर्मगड परीक्षा. इत्यादि ॥जेनिकु अपकोसवणाए पड़ोसवेति इत्यादि॥दोसुत्ताजुगवं वञ्चति। श्मो सुत्तथ्योप. जोसवणा गाहा ॥जेलिस्कुपडोसवणाकाले पत्ते हा पङोसबेति। अपसोसवणएत्ति अपत्तेमतीते या जो पङोसवेति। तस्मयाणादियादोसा चल गुरु पक्षित, एससमडो॥ इति निशीबचूणौँ. था सूत्रनो सारांस ए के अपर्वमा पजुसण न थाय थने जो करे तो प्रायश्चित्त, अने पर्वमां न करे तो प्रायचित; माटे पागल न घाय, तेम पास न थाय, पजु. सपना दिवसे पजुसण थाय; इटले जापवा शुद पांचमना दिवसेज पजुसण करवां न करेतो चार गुरु प्रायः श्रित. था थाझा तीर्थंकरदेवे तेमज आचार्यनगवाने पण थापेली . प्रभ १-पजुसपना दिवसोमां ज्यारे सजासमक्ष श्री. थार्यकालिकसूरि महाराजे पोतानाज मुखथी श्री कहपसूत्र वांची संजळाव्युंहतुं त्यारे तेश्री कल्प. सूत्रमा केटलां व्याख्यान (वखाण) कर्या हतां ? श्रश्रवा तो ते व्याख्याननी मर्यादा चूर्णिकारे व. ताची के केम? Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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