Book Title: Sudharm Gaccha Pariksha
Author(s): Bramharshi Muni
Publisher: Ravji Desar

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Page 38
________________ (३) भी सुधर्मगह परीक्षा. कास्तकों, ते पीथी एवो उराव कया श्राचार्य कर्यो बे के चोथ करे तेज कल्पसूत्र वांची शके, भने ते शिवाय वांचे तोविराधक चाय. ते तमारेज विचारवानुं . मतलब के उपर बतावेस गाथाज बीजाने संजखावधानी साबिती स्पष्टपणे थापी रहेल डे के श्री कल्पसूत्र एकवीसवार सांजले तेनुं कल्याण थाय. (एम श्री जिनेश्वरेज प्रथम गण धरप्रत्ये फरमावेडं .) प्रभ ५-ज्यारे श्री जवाहुस्वामीएज श्री कल्पसूत्र रच्यु डे त्यारे ते पहेबां पजुसणपर्वनी अंदर (क. उपसूत्र रचायेख न होवाथी) शुं वांचवामां था.' बतुं इतुं ? उत्तर ५-देवाधिदेव श्रीमहावीरस्वामीजीए श्री जिने श्वरोनां चरित्र तेमज श्री वीरप्रजुना सत्तावीश जब जे पोताज चरित्र जे प्रकाश कर्यु ले तेज श्री गौतमादि गणधरोए रचेल डे अने तेज मुजब परंपरागमना थाधारे श्रुतकेवली श्री नाबाहु. स्वामीजीए कस्पसानी रचना करेल , माटे गौतमस्वामीने कोशीनेज वे कल्पसूत्रनुं महाम्य श्रीमुखे वर्षज्यु के. वाक्यनी विशेष Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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