Book Title: Sudharm Gaccha Pariksha
Author(s): Bramharshi Muni
Publisher: Ravji Desar
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(५०) श्री सुधर्मगष्ठ परीक्षा. य एस सुद्द पासंडो वेत्तावि तोहिं रमो अग्गतो पुणोपुणो उल्लावेतो आयरिएण णिप्पट प्पसिण वागरणो कतो, ताहे से पुरोहितो आयरिय स्सपो रायाणं अणुलोमहिं विप्परिणामेति एतेरिसतो महाणुनावा, एते जेणपहेणं गच्छति तेण पहेणं जति रमागति एताणिवा अकमति तोअसिवनवति, ते ताणिग्गता एवमादियाण कारणाण अपतमेण णिग्गता विहरंता पतिछाएं णगरं तेणपखिता. पतिघाण समणसंघस्सय अधकालगेहिंसंदिछ, जावाहं आगहामि तावतुप्लेहिं णो पद्योसवियवं, तबय सयवाहणो राया, सोयकालगधं एतं सोळं णिग्गतो अनि मुहो, समण संघोय महयाविनूतीए पवितो, कालगद्यो पविहि यजणियं जहवय सुधपंचमीए पद्योसविधति. समण संघेण पडिवन्नं, ताहे रमाणियं, तदिवसं ममलोगाणुवत्तीए इंदो अणुजाएगाबोहेहित्ति, साहूचेतिते ण-पळोवासेस्स तो नहीए पद्योसवणा कऊन, आयरि
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