Book Title: Sudharm Gaccha Pariksha
Author(s): Bramharshi Muni
Publisher: Ravji Desar
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(१७) श्री सुधर्मगच परीक्षाः विमासतां नवि बेसे बंध, चोथतणी तो राखी संध; प्रमाण कीध राय श्रादेश, कालिकसूरि चित्तनिवेश ॥१
यतः-आसाढे पुणिमाएज्यिा डगलादियं गेएहंति, पद्योसवणकप्पंच कति, पंचदिणा ततो सावण बटुल पंचमीए पद्योसति, खित्ताजावे कारणेण पणगेसु बुढे दसमीए पद्योसवेति, एवं पारसीए, एवंपण गवुढी ताव कधति-जाव सवीसति मासोपुलो सोय सवीसति मासो नदवयसुछ पंचमीए पद्योसवेंति.अह आसाढ सुच दसमीए वासाखित्ते पविता, अहवा जत्थ आसाढमास कप्पोकन, तं वासप्पानग्गं खेतं अमं च णबि, ताहे तव पद्योसवेंति. वासंच गाढं अणुवरयं आढत्तं ताहे तन्नेव पद्योसवेंति, एक्कारसीन आढवेल डगलादि तं गेएहति, : पदोसवणाकप्प कहेंति, ताहे आसाढ पुणिमाए पद्योसवैति, एस नसग्गो, सेसकाल पद्योसर्वेताणं, अववातो अववातेवि सीसति-राय मासातो परेण अतिकमेठंण-वति, सवीसति
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