Book Title: Sudharm Gaccha Pariksha
Author(s): Bramharshi Muni
Publisher: Ravji Desar

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Page 14
________________ (६) श्री सुधर्मगह परीक्षा. सूत्र अरथ सोपीने जेह, परंपरा दाखे ने तेह; जो सहहिये सूधा साध, तोनिन्दवनो स्यो अपराध ॥२१ पद अक्षर जिनधागमतणो,अनिनिवेश धरी लोपे घणो; तेनिह्नव कहिये श्रजाप, वीतरागना वचन प्रमाण ॥२२ .. यतः-पय अखरंवि कं। सवन्नहिं पवेश्यं । नरोएऊ अन्नहा लासे। मिबसिनियं॥१॥ जावार्थ:-सर्वज्ञ देवाधिदेवे परूपेलाने गणधरादिकनी परंपराथी आवेला जे पद तथा जे श्रदर तेमांथि कोइपण एक अक्षर तथा पद तेनी श्रद्धा करे नहि अने तेथी विपरित परूपणा करे ते जीव निश्चे मिथ्यादृष्टि जाणवो. पूरव श्राचारजनी थाण, केश कहे करिये परमाण; तेहतको उत्तर मन धरो, श्राचारजनी परिक्षा करो ॥३ यतः-पंच विहं आया। आयर माणातहाय जासंता ॥ आयारं दंसंता। आयरिया तेण वच्चंति ॥१॥ नावार्थः-पांच प्रकारना आचार ते ज्ञानाचार १, दर्शनावार २, चारित्राचार ३, तपाचार ४, वीर्याचार ५, ते प्रते पोते पालता तेमज यथार्थ सूर्यनी माफक प्रका Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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