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५८.
१४२ ५४. जैनमहापुराण : कलापरक अध्ययन - (ग्रं०मा०सं०७४),लेखिका : डॉ०
कुमुदगिरि; प्रथम संस्करण १९९५; मूल्य: रु० २२५.००; आकारः डिमाई;
पृ० २९३। ५५. तत्त्वार्थसूत्र और उसकी परम्परा - (ग्रं०मा०सं० ६७), लेखक : प्रो०
सागरमल जैन; प्रथमसंस्करण १९९४; मूल्य : रु० -६०.००; आकार: डिमाई,
पेपर बैक; पृष्ठ - १४७। ५६. जैन धर्म-दर्शन एवं संस्कृति (भाग १) - (ग्रं०मा०सं०७०), लेखक :
प्रो० सागरमल जैन; प्रथम संस्करण १९९४; पृष्ठ : ३२+२६४; मूल्य : रु० -
१५०.००; आकार : डिमाई पेपर बैक। ५७. जैन धर्म-दर्शन एवं संस्कृति (भाग २) - (ग्रं०मा०सं० ७८), लेखक :
प्रो० सागरमल जैन; प्रथम संस्करण १९९५; पृष्ठ : १७६; मूल्य:रु० - १५०.००; आकार: डिमाई पेपर बैक। जैन धर्म-दर्शन एवं संस्कृति (भाग ३)- (ग्रं०मा०सं० ८८), लेखक : प्रो० सागरमल जैन; प्रथम संस्करण १९९७; पृष्ठ : ६+२१९; मूल्य : रु० -
१५०.००; आकार : डिमाई। ५९. जैन धर्म-दर्शन एवं संस्कृति (भाग ४) - (ग्रं०मा०सं० १२२), लेखक
प्रो० सागरमल जैन, प्रथम संस्करण २००१, पृष्ठ : ६+१७५; मूल्य : रु०
१००.००, आकार : डिमाई। ६०. जैन धर्म-दर्शन एवं संस्कृति (भाग ५)- (गं०मा०सं० १३८), लेखक
प्रो० सागरमल जैन, प्रथम संस्करण २००२, पृष्ठ : ६+१९०, मूल्य : रु०
१००.००, आकार : डिमाई। ६१. जैन धर्म-दर्शन एवं संस्कृति (भाग ६)- (गं०मा०सं० १३८), लेखक
प्रो० सागरमल जैन, प्रथम संस्करण २००२, पृष्ठ : ६+१९०, मूल्य : रु०
१००.००, आकार : डिमाई। ६२. जैन धर्म-दर्शन एवं संस्कृति (भाग ७) - (गं०मा०सं० १३८), लेखक
प्रो० सागरमल जैन, प्रथम संस्करण २००२, पृष्ठ : ६+१९०, मूल्य : रु०
१००.००, आकार : डिमाई। ६३. महावीर निर्वाण भूमि पावा : एक विमर्श - (ग्रं०मा०सं०६१), लेखक:
भगवती प्रसाद खेतान; प्रथम संस्करण १९९२, पृ० : २३४; मूल्य : रु० - १५०.००; आकारः डिमाई।
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