Book Title: Sramana 2008 07
Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 219
________________ हिन्दी अनुवाद :- तब यह वसुमती के साथ पारदारिक क्रिया करने आया लगता है, तो अन्य कहते हैं यदि जार है तो 'माता' करके क्यूं बुलाता है? गाहा : ता एस धणवइच्चिय विहिओ केणावि अन्न-रूवेण । देवेण दाणवेण व केलीए पिएण मन्नामो ।।१८।। संस्कृत छाया : तत एष धनपतिरेव विहितः केनापि अन्यरूपेण । देवेन दानवेन वा केल्या प्रियेण मन्यामहे ||१८०।। गुजराती अर्थ :- तेथी क्रीडाप्रिय एवा कोइ पण देवे के दानवे आ धनपतिने ज कोई कारणथी अन्यरूपे बनाव्यो तेवु आपणे मानवू जोइये। हिन्दी अनुवाद :- क्रीड़ाप्रिय कोई देव ने अथवा दानव ने धनपति को ही किसी कारण से अन्य रूपवाला बना दिया हो, ऐसा हमे मानना चाहिए। गाहा : अन्ने भणंति भूओ एस पिसाउव्व आगओ एत्थ । अम्हाण छलण-हेउं एरिस-रूवेण दुट्ठप्पा ।।१८१।। संस्कृत छाया : अन्ये भणन्ति भूत एष पिशाचो वाऽऽगतोऽत्र | नः छलनहेतुरीदृश-रूपेण दुष्टात्मा ।।१८१।। गुजराती अर्थ :- वळी बीजाओ कहे छे, आ दुष्ट भूत के पिशाच अमने ठगवा माटे आवा धनपतिना रूप वडे अहीं आवेंलो छ। हिन्दी अनुवाद :- और दूसरे तो कहते हैं - यह दुष्ट भूत या पिशाच हमें छलने को धनपति के रूप में यहां आया है। गाहा : भो भो न एवमेयं भणंति अन्ने उ किंतु निसुणेह । वसुमइयाए सीलं परिक्खिउं आगओ तियसो ।। १८२।। संस्कृत छाया : भो! भो! नैवमेतद् भणन्त्यन्ये तु किन्तु निःशृणुत । वसुमत्याःशीलं परीक्षितुं आगतस्त्रिदशः ||१८२।। गुजराती अर्थ :- अरे! अरे! आ ए प्रमाणे नथी, परंतु सांभळो! आ वसुमतीना शील नी परीक्षा माटे देव आवेलो छे, एम केटलाको ए कहयु। हिन्दी अनुवाद :- अरे! अरे! ऐसा नहीं है? सुनो! यह वसुमती के शील की परीक्षा के लिए कोई देव आया है। इस तरह कई लोगों ने कहा। 376 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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