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गुजराती अर्थ :- लांबा समय सुधी पोताना देहने जोईने काला मुखवालो अने उडवानी ईच्छावाळो ते त्यारे एकदम आकाश ने जोवा लाग्यो! हिन्दी अनुवाद :लंबे समय तक अपने देह को देखकर काला मुख वाला और उड़ने की इच्छावाला वह तब सहसा गगन को देखता है।
गाहा :
बुड बुड इय अव्वत्तं जावं दितोव्व उल्ललइ य पुणरुत्तं दद्दुर इव संस्कृत छाया :
बुडबुडेति अव्यक्तं जापं दददिव प्रवरविद्यया ।
उल्ललति च पुनरुक्तं दर्दुरिव भूमिपृष्ठे ।।१७४।।
गुजराती अर्थ :- श्रेष्ठ विद्या वड़े 'बुड - बुड'ए प्रमाणे अव्यक्त जापने वारंवार करतो होय तेम देडका नी जेम पृथ्वी पर उछले छे।
हिन्दी अनुवाद :- श्रेष्ठ विद्या द्वारा 'बुड - बुड' इस प्रकार अव्यक्त जाप को बार-बार करता हो उस तरह बोलता हुआ मेंढक की तरह पृथ्वी पर उछलता है।
पवर- 1
- विज्जाए ।
भूमि पट्टम्मि । । १७४ ।।
गाहा :
- विज्जो ।
जाओ खणेण दीणो खयर- - कुमारोव्व नट्ट - वर- 1 गाढं वेविर-देहो मूढोव्व हिंउव्व संजाओ । । १७५ ।। संस्कृत छाया :
जातः क्षणेन दीनः खेचरकुमार इव नष्टवरविद्यः ।
गाठ वेपमान देहो मूढ इव हृत इव सञ्जातः । १७५ ।। गुजराती अर्थ :- नष्ट थयेल विद्यावाळो ते पुरुष विद्याधर कुमारनी जेम क्षणमां रांकडो थयो तथा अत्यंत कंपता देहवाळो, मूढनी जेम लुटायेला जेवो थयो ।
हिन्दी अनुवाद :- नष्ट हुई है विद्या जिसकी वैसा वह पुरुष - विद्याधर कुमार की तरह क्षण में दीन हुआ तथा अत्यंत कम्पित शरीर वाला वह तथा मूढ़ की तरह मानो लुट गया हो वैसा हो गया।
गाहा :
अह तं तारिस रूवं पुरिसं दट्ठे सुदंसणा भाइ ।
पाविट्ठ ! किं न साहसि कत्थ कओ मह सुओ तुमए ? ।। १७६ ।। संस्कृत छाया :
अथ तं तादृशरूपं पुरुषं दृष्ट्वा सुदर्शना भणति । पापिष्ठ! किं न कथयसि कुत्र कृतो मे सुतस्त्वया? ।।१७६ ।।
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