Book Title: Sramana 2008 07
Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 218
________________ गुजराती अर्थ :- हवे तेवी अवस्थावाला ते पुरुषने जोईने सुदर्शना कहे छे। हे पापिष्ठ! मारा पुत्रने तारा बड़े शुं करायुं छे? ते तुं केम बोलतो नथी? हिन्दी अनुवाद :- अब इस प्रकार के उस पुरुष को देखकर सुदर्शना कहती है अरे! पापिष्ठ! मेरे पुत्र को तुमने क्या किया है? वह तू क्यूं बोलता नहीं है? गाहा : सोवि अहो-मह वयणो होऊण ठिओ न जपई जाव । ताहे सो जण-निवहो विविहं उल्लविउमाढत्तो ।।१७७।। संस्कृत छाया : सोऽपि अधोमुख-वदनो भूत्वा स्थितो न जल्पति यावत् । तदा स जन-निवहो विविधमल्लपितु-मारब्धः।।१७७|| गुजराती अर्थ :- ते पण अधोमुख-वदनवाळो थईने रहेलो जयां सुधी कांई ज बोलतो नथी व्यारे ते जनसमूह विविध प्रकारे बोलवा लाग्यो। हिन्दी अनुवाद :- वह भी अधोमुखवाला होकर जब तक कुछ बोलता नहीं है तब तक वह जनसमूह विविध प्रकार से बातें करने लगा! गाहा : एसो इब्भ-घरम्मी समागओ चोरियाए धण-लुद्धो । अन्ने भणंति चोरो जइ ता सेज्जाए किं सुत्तो ? ।।१७८।। संस्कृत छाया : एष इभ्य-गृहे समागतश्चौर्याय धनलब्धः । अन्ये भणन्ति चौरो यदि तर्हि शय्यायां किं सुप्तः? ||१७८।। गुजराती अर्थ :- आ श्रेष्ठीनाघरमां धननो लोभीयो चोरी माटे आवेलो छे, बीजाओ केटलाक कहे छे 'जो चोर छे तो पथारीमा केम सूतो छ? हिन्दी अनुवाद :- यह धन का लोभी चोरी के लिए श्रेष्ठि के घर में आया लगता है तथा अन्य कितने ही कहते हैं यदि चोर है तो शय्या में क्यों सोया है? गाहा : ता एस वसुमईए कएण परदारियाए आयाओ। अन्ने भणंति जारो जइ ता अंबित्ति किं भणइ? ।।१७९।। संस्कृत छाया : तदा एष वसुमत्या कृतेन पारदारिकतया आयातः । अन्ये भणन्ति जारो यदि तर्हि अम्बेति किं भणति? ||१७९।। गुजराती अर्थ :- व्यारे आ वसुमति साथे परस्त्रीगमन करवा आव्यो छे, बीजा कहे छे, जो जार छे, तो पछी माता! ए प्रमाणे केम बोले छे। 375 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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